20 छोटी-छोटी शिक्षाप्रद प्रेरणादायक हिन्दी कहानियाँ बच्चों के लिए // प्रेरक हिन्दी बाल कहानियाँ / 20 very short moral stories with moral in hindi for kids
1 छोटी सी मदद
एक बार जंगल में बहुत भयंकर बारिश हुई। जंगल के सभी जानवर इधर-उधर सुरक्षित स्थान ढूंढने लगे । एक विशाल घने वृक्ष पर "नैनी नामक चिड़ियाँ" का घोंसला था। वृक्ष के निचले तने पर चींटियों का घर था। तेज बारिश की वजह से इन नन्हीं चींटियों की तो जान पर बन आई । ..... जब नैनी चिड़ियाँ ने निचे देखा तो उसने चींटियों की मदद की ठानी और धीरे -धीरे वृक्ष की एक लंबी टहनी ली और अपनी चोंच में पकड़ कर निचे चींटियों की ओर कर दी । .... सभी चींटियां टहनी पर चढ़ती हुई ऊपर की ओर सुरक्षित स्थान पर आ गई । "चींटियां" धन्यवाद देते हुएं "नैनी चिड़ियाँ" की ओर कृतज्ञता से देख रहीं थी।
नैतिक शिक्षा --
आवश्यकता पड़ने पर किसी जरूरतमंद की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए ।
2 लालच का फल
आज करोडीमल सेठ़जी की किराना दुकान के सामने एक नौकर की गलती से बहुत सारा शहद जमीन पर गिर पड़ा है।...... यह खबर सुनते ही "मक्खियों का झुंड" "शहद" पर टूट पडा। सबने जी भर कर शहद पिया। अंततः मक्खियों के झुंड में सबसे बुजुर्ग और अनुभवी मक्खी ने सबको चेताया कि अब हम सबको यहाँ से वापस चलना चाहिए । .... कुछ मक्खियों ने कहा -- अरे ! बहुत दिनो बाद इतना स्वादिष्ट शहद मिला है। भला इसको छोड़कर केसे जाएं ? तुमको ज्यादा जल्दी है तो तुम जाओ । ...... बुजुर्ग मक्खी बार-बार सचेत कर रही थी लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं था।
बुजुर्ग मक्खी तो उड़ कर समीप के एक वृक्ष पर बैठ गई । और काफी देर बाद अन्य मक्खियों ने जब उड़ना चाहा तो वे सभी उड़ ना पाई। क्योंकि अधिक समय तक शहद पर बैठे रहने की वजह से सभी मक्खियों के पैर शहद में चिपक चुके थे। अंततः वे उड़ नहीं पाई और वही मर गई।
नैतिक शिक्षा --
हद से ज्यादा लालच करना हमेशा घातक होता है। अनुभवीयों व अपने बुजुर्गों की सलाह जरूर मानना चाहिए।
3 एकजुटता
एक किसान के पास "चार बैल" थे । चारों बैलो में बहुत गहरी मित्रता थी । एक "शेर" काफी समय से चारो को ताकता ही रहता था कि कब उसे इन बैलो को खाने का मौका मिल जाएं ।
शेर अच्छे से जानता था कि जब तक चारो "एकजुट" है, तब तक वह उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगा। ............ " शेर" ने चारो को अलग अलग-थलग करने के लिए एक योजना बनाई और उसने चारो बैलो के बारें में अफवाहें उड़ानी शुरू कर दी। जिसकी वजह से चारो बैलो के बिच ग़लतफहमी पैदा हो गई ।
आखीरकार चारो के बिच झगड़ा हो गया जो कि इतना बड़ा कि चारो, एक दूसरे की शक्ल भी नहीं देखते थे। एक अलग रास्ते से जाता तो दूसरा अलग रास्ते से। और इसी बात का फ़ायदा शेर ने उठाया और एक एक करके चारों को मार डाला और खा गया।
नैतिक शिक्षा--
चाहे इंसान हो या जानवर जब तक वह संगठन में रहता है, तब तक वह सुरक्षित है। एकता में शक्ति होती है।
4 अकेले रहने का नतीज़ा
एक बहुत घना जंगल था। जहाँ बहुत सारे "पशु-पक्षी" रहते थे। रोज इन सबके शोरगुल से "जंगल के पेड़" बहुत परेशान रहते थे। एक बार पेड़ो ने मिलकर योजना बनाई की इन "पशु-पक्षी" को जंगल से दूर भगा देना चाहिए ताकि हम सब "पेड़-पौधे" शांति से रह सकें। ...... सभी "पेड़-पौधे" योजनानुसार जोर-जोर से झूमने लगे मानो भंयकर आंधी-तुफान आया हो। ऐसा जंगल में लगातार होने लगा, जिससे सभी जानवर भयभीत हो अन्य स्थान पर चले गए। ....... सारा जंगल खाली हो गया। अब पूरे जंगल में शांति रहने लगी। पेड़-पौधे खुश थे किंतु कुछ दिनों बाद जंगल के समीप रहने वाले लोग जो जानवरों के ड़र से जंगल में नहीं आते थे, अब बेझिझक जंगल में आते और पेड़-पौधों को काटकर ले जाने लगें । जानवरों के चले जाने से लोगो का ड़र निकल चुका था । धीरे-धीरे संपूर्ण जंगल मैदान में बदल गया था।
नैतिक शिक्षा --
सुरक्षित रहने के लिए एकत्रित रहना आवश्यक है। अकेले रहने वाला हमेशा अंत में नष्ट हो जाता है।
5 एक-दूसरे की मदद
एक बार एक हाथी के पैर में एक कांटा चूभ गया। वह दर्द से तड़प रहा था। हाथी को आसपास कोई नजर नहीं आया जिससे कह कर कांटा निकलवा सकें । अचानक एक बंदर ऊपर वृक्ष पर उछल-कूद करता नज़र आया। हाथी ने बंदर से कांटा निकालने का आग्रह किया। बंदर ने अपने नाखून का प्रयोग करके हाथी के पैर से कांटा निकाल दिया और पेड़ की छाल का मरहम लगा दिया। हाथी ने बंदर को धन्यवाद दिया । ...... कुछ दिनों पश्चात हाथी ने देखा शिकारी बंदर को पकड़ कर ले जा रहा था । हाथी फुर्ती से शिकारी के सामने आ गया और शिकारी पर पैरों से वार करने लगा। हाथी ने अपनी सूंड से शिकारी के हाथ से जाल की पोटली (जिसमें बंदर कैद था) छुड़ा ली और शिकारी को दूर उछाल फैंका। थोड़ी ही देर बाद हाथी ने चूहे को बुलाया और चूहे ने पूरा जाल अपने दाँतो से कुतर दिया। इस प्रकार हाथी ने भी बंदर को सुरक्षित बचा लिया।
नैतिक शिक्षा --
वक्त आने पर एक-दूसरे की मदद करने से कभी नहीं चूकना चाहिए । दूसरो की मदद करोंगे तो दूसरे भी तुम्हारी मदद करेंगे ।
6 सुन्दर सींग
एक बारहसिंगा था जिसे अपने सींगों पर बड़ा नाज था । बारहसिंगा के खूबसूरत सींगों की अन्य जानवर भी तारीफ करते थे। बारहसिंगा को अपने सींग तो बहुत पसंद थे किंतु वह अपनी पतली टांगो को पसंद नहीं करता था। उसे यह टांगे पतली और भद्दी लगती थी और टांगो की वज़ह से उसे बहुत शर्म महसूस होती है।
एक बार शिकारी जंगल आया। बारहसिंगा के खुबसूरत सींग देखकर शिकारी उसके पीछे दौडा। शिकारी को देख बारहसिंगा ने तेज़ दौड़ लगा दी। दौड़ते-दौड़ते बारहसिंगा के सींग एक वृक्ष की टहनी में जा फंसे । सींगों को टहनी में से निकालने में बारहसिंगा को बहुत ही मशक्कत करनी पड़ी जिससे उसके सिंग का एक टुकड़ा टूट कर निचे गिर पड़ा। लेकिन जैसे-तैसे बारहसिंगा ने शिकारी से अपनी जान बचा ली और वह सुरक्षित अपने घर पहुंचा। अब बारहसिंगा मन ही मन सोचने लगा -- अरे! मैं भी कितना बड़ा मूर्ख हूँ । " जिन सींगो पर मुझे बहुत नाज था, आज उन्ही की वजह से ही मेरी जान खतरे में पड़ी और जिन पैरों को सदैव मैं पसंद नहीं करता था, आज उन्ही पैरो की तेज दौड़ की वजह से ही मेरी जान बच सकीं।" इस घटना के बाद बारहसिंगा ने कभी शिकायत नहीं की।
नैतिक शिक्षा --
शिकायत करना छोडिएं। बाहरी सुंदरता को देखकर किसी के गुणों और दोषों का आंकलन ना करें ।
7 शेर का लालच
एक सनकी "शेर" शिकार की तलाश में था। उसे एक खरगोश दिखा और उसने उसे यह कहते हुए छोड़ दिया कि -- अरे ! तुम तो कितने छोटे और कमजोर हो। तुम्हें खाना मेरी शान के खिलाफ है। मैं तो हिरन जेसे बड़े और फुर्तीले जानवर को ही शिकार बनाऊंगा। और इस तरह शेर खरगोश का शिकार करना छोड़ कर हिरन को पकड़ने के लिए आगे बढ़ गया। बहुत समय ढूंढने के बाद उसे एक हिरन दिखाई दिया। शेर हिरन के पिछे दौड़ा लेकिन हिरन फुर्ती से दौडता हुआ शेर के चंगुल से बच निकला। अब शिकार ढूंढते हुएं शेर को सुबह से रात हो गई थी किंतु कोई शिकार शेर को नहीं मिल पाया था। भूख और थकान से बेहाल "शेर" मन ही मन सोच रहा था कि आज "हिरन" की लालच में "खरगोश" से भी हाथ धो बैठा। "काश .... मैं ज्यादा की लालच ना करता।"
नैतिक शिक्षा --
ज्यादा लालच सदैव हानिकारक होती है।
8 बेवजह की बहस
एक आदमी ने "शेर" पाल रखा था । दोनो साथ-साथ रहते, खाते-पीते, घूमते-फिरते।
एक बार दोनो साथ मिलकर कही घूम रहें थे कि अचानक सामने एक बहुत बड़ी मूर्ति (स्टैच्यू) दिखाई दी। जिसमे एक आदमी ने एक शेर को दबोचे रखा था। दोनो में चर्चा चल पड़ी कि आदमी और शेर दोनो में से कौन ज्यादा ताकतवर है ??
चर्चा अब बहस में बदल गई। दोनो अपने आपको ज्यादा ताकतवर बता रहें थे। तभी आदमी ने मूर्ति की ओर इशारा करते हुएं कहा देखो ! उस मूर्ति से यहीं सिद्ध होता है कि आदमी ज्यादा ताकतवर होता है। यह सुनकर शेर मुस्करा कर बोला -- ""आप मियां मिठ्ठू "" अगर शेर भी मूर्ति बनाना जानते तो आदमी शेर के पंजों के निचे ही होता ।
नैतिक शिक्षा --
आपसी बहस करने से किसी का फ़ायदा नहीं होता है।
9 चालाक गधा
किसी पहाड़ी क्षेत्र में एक व्यापारी के पास दो गधे थे। दोनो गधे में एक गधा "बुद्धू" सीधा सादा और उम्र में बड़ा था जबकि दूसरा गधा "गिद्धू" बहुत चालाक था। ....... व्यापारी रोज इन दोनो गधो पर सामान लादकर बाज़ार जाता था। इस समय "गिद्धू" हमेशा "बुद्धू" से कहता -- थोडा जल्दी-जल्दी चलो । तुम्हारे कारण मुझे भी देर हो जाती है। तुम कितने बूढ़ा गए हो ! तुम्हारे जीवित रहने से अब क्या फायदा ??
एक दिन "बुद्धू गधा" बिमार होने की वजह से धीरे-धीरे चल रहा था। "चालाक गिद्धू" ने सोचा कि इसको रास्ते में गिरा देता हूँ, ताकि मालिक इसकी जम कर पिटाई करें । और आज काम पर जाने की छुट्टी हो जाएं । ....... रास्ते में "चालाक गिद्धू" ने "बुद्धू गधे " के पैर में पैर अडा कर उसे गिरा दिया। "बुद्धू गधा" लुढ़कते हुएं पहाड़ी के निचे जा गिरा और मर गया। जब मालिक ने देखा तो "गिद्धू गधे" पर दूसरें गधे का सामान भी लाद दिया और गुस्से में पिटता हुआ उसे बाजार लेकर गया । अब तो हर रोज चालाक "" गिद्धू गधे"" को ही डबल सामान लादकर लाना-ले जाना करना पड़ता था। अब वह अपनी गलती पर पछता रहा था।
नैतिक शिक्षा --
किसी को ईर्ष्या और चालाकी के चलते हानि पहुंचाने से स्वयं की ही हानि होती है।
10 घमंडी मेंढक
एक स्थान पर बहुत सारे मेंढक रहते थे । इनमें एक मेढ़क बहुत ज्यादा मोटा-ताजा था, जिसका उसको बहुत घमंड था। आए दिन "मोटा मेढ़क" बलपूर्वक दूसरे मेढ़क से अपना कार्य करवाता और उनका भोजन भी छिन लेता था। मोटे मेढ़क को अपने हष्ट-पुष्ट होने का बहुत अभिमान हो चला था। वह हर रोज किसी ना किसी का मज़ाक बनाता। ........
एक दिन "मोटा मेढ़क" "दूसरें मेढ़कों" के बिच स्वयं की बहादुरी के झूठे किस्से सुना रहा कि तभी ऊपर उड़ता हुआ एक ""गिद्ध"" आया, जो कि बहुत दिनों से "मोटे मेढ़क" पर नज़र रखे हुए था। और देखते ही देखते "गिद्ध" "मोटे मेढ़क" को मुँह में भरकर ले उड़ा।
नैतिक शिक्षा --
घमंड करने का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है। किसी भी बात का कभी भी घमंड ना करें।
11 भूखी लोमड़ी
एक भूखी लोमड़ी एक किसान के खेत में घूस गई। लोमड़ी खेत में लगी फसल खाने लगी। अचानक किसान वहाँ आ गया और उसने चुपके से लोमड़ी के ऊपर जाल डालकर उसे पकड़ लिया। ......... किसान ने लोमड़ी को दो-चार डंडे जड़ दिए। लोमड़ी किसान से बार-बार माफी मांगने लगी और आज़ाद कर देने की गुहार लगाने लगी। .... लेकिन किसान गुस्से से आग बबुला हुआ बैठा था तो उसने लोमड़ी की एक ना सुनी। और लोमड़ी को सबक सीखाने के लिए " लोमड़ी की पूंछ " में आग लगाकर छोड़ दिया।
लोमड़ी छटपटाती हुई पूरे खेत में लौट लगाने लगी ताकि आग बूझ जाएं । अंततः लोमड़ी की पूंछ की आग तो बूझ गई लेकिन आग बुझाने के चक्कर में किसान के खेत में आग लग गई।
जलता हुआ खेत देखकर किसान सिर पकड़ कर बैठ गया और सोचने लगा कि "अच्छा होता कि मैं लोमड़ी को माफ ही कर देता।"
नैतिक शिक्षा --
किसी को माफ कर देना अपने आप में बहुत बड़ा गुण है। एक-दूसरें गलतियों को नजरअंदाज कर माफ करना सीखें ।
12 मेहनती चिड़ियाँ
एक बड़े से घने पेड़ पर एक मेहनती और दयालु चिड़ियाँ का घोंसला था। उसी पेड़ की दूसरी ओर मोटी टहनी पर एक आलसी और लापरवाह "कौए" का भी घोंसला था। चिड़ियाँ रोज़ दाना चुगने जाती और अपने बच्चों के लिए भी दाना लेकर आती और उन्हें खिलाती .... कुछ दिनों से कौआ देख रहा था कि चिड़ियाँ पहले से अधिक बार दाना लेने जाती थी। कौआ, "चिड़ियाँ" का मज़ाक बनाते हुए हंसने लगता। चिड़ियाँ ध्यान नहीं देती और अपने काम में लगी रहती।
कुछ दिनों बाद बारिश का मौसम आया । लगातार आठ-दस दिन बारिश होने से पक्षियों का बाहर दाना चुगने जाना संभव ना था। चिड़ियाँ को तो ज्यादा परेशानी नहीं हुई क्योंकि उसने पहले से ही दाना एकत्रित कर रखा था। लेकिन "कौए महाराज" का भूख के मारे बूरा हाल था। धीरे-धीरे कौआ कमजोर होकर बिमार पड़ गया। चिड़ियाँ को इस बात की खबर लगी तो जब तक कि "कौआ" स्वस्थ नहीं हो गया, तब तक रोज़ कौए को दाने खाने के लिए देती थी। अब "कौए" को समझ आ चुका था कि "चिड़ियाँ" क्यूं इतनी मेहनत करती थी।" कौए को अपनी गलती का एहसास हो गया था। उसने चिड़ियाँ से माफी मांगी। अब "कौआ" भी बहुत मेहनती बन गया था।
नैतिक शिक्षा --
मेहनत करने से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए । वर्तमान में की गई मेहनत भविष्य संवार सकती है ।
13 बड़ो की समझाईश
"खरगोश" के दो नन्हें बच्चें खेलते-खेलते दूर जंगल पहुंच गए। जंगल में एक सियार ने उन्हें देख लिया और दोनो को दबोच लिया। ..... तभी अचानक एक बड़ा सा "बंदर" आ गया और पेड़ की मोटी टहनी हाथ में लेकर "सियार" को पीट़ने लगा। "सियार" वहां से भाग खडा हुआ। इसी समय दोनो नन्हें खरगोश की माँ "मादा खरगोश" भी वहाँ आ गई । दोनो बच्चें माँ से लिपट कर रोने लगें । माँ ने कहा -- "मैंने तुम लोगो से कहा था ना कि घर से बाहर नहीं निकलना।" आज अगर बंदर भाई हमारी मदद ना करते तो सियार तुम दोनो को खा चुका होता। मैं जब भी बाहर जाती तो घर के समीप के वृक्ष पर रहने वाले "बंदर भाई" को तुम दोनो पर नज़र रखने के लिए कह कर जाती थी। दोनों बच्चें ड़बड़बाई आंखों से माँ की बात गौर से सुन रहें थे और समझ चुके थे कि घर के बड़ो की नसीहत ना मानने का नतीज़ा क्या होता है।
नैतिक शिक्षा --
हमारे परिजन अगर कोई समझाईश देते है तो उसमें सदा ही हमारी भलाई ही छुपी होती है।
14 आपसी लड़ाई
दो बंदर आपस में गहरे मित्र थे। एक दिन दोनो घूम रहें थे कि उन्हे एक रोटी दिखी । दोनो ही साथ में रोटी की तरफ लपके। लेकिन दोनो में आपस में बहस होने लगीं । एक बोला -- " रोटी पहले मैने देखी तो यह मेरी है तो दूसरा बोला कि पहले मैने रोटी को देखा और तुम्हें बताया तो यह मेरी है, अतः इसे मैं ही खाऊंगा । " ...... दोनो खूब देर से बहस कर रहें थे कि ऊपर वृक्ष पर बैठा "कौआ" सब देख रहा था। वह तेजी उड़ता हुआ आया और रोटी चोंच मे भरकर ले उड़ा । दोनो दोस्त एक दूसरें का मुँह देखते रह गए।
नैतिक शिक्षा ---
दो लोगो की आपस की लड़ाई का फायदा तीसरा उठाता है। इसलिए समझदारी से काम ले।
15 धूर्त लोमड़ी
एक जंगल बहुत खूबसूरत था। यहाँ निवास करने वाले पशु-पक्षी भी बहुत अच्छे और आपसी सहयोग वाले थे। इसी जंगल में एक नई लोमड़ी आकर रहने लगीं । लोमड़ी ईष्यालु प्रवृति की थी और जंगल का राजा बनना चाहती थी। धीरे से उसने सभी पशु-पक्षियों से दोस्ती कर ली। ...... लोमड़ी ने सबको एक-दूसरे के प्रति भड़काना प्रारंभ किया जिससे धीरे-धीरे एक दूसरे के बिच टकराव होने लगें। जंगल में लोमड़ी की चिकनी-चुपड़ी बातें सबको भली लगने लगी और सब लोमड़ी की ही बात सुनने लगें। अब लोमड़ी ने जंगल के राजा शेर को भी उसके समीप के मित्र द्वारा ही मरवा डाला । और वह "जंगल के राजा" के ही समान सब पर अपनी हुकूमत जमाने लगी थी।
नैतिक शिक्षा --
किसी अनजान की बातों में आकर अपनी सुख - शांति भंग ना करें । किसी की बात सुनकर अपने विवेक का उपयोग करते हुए ही कोई कदम उठाएं ।
16 चूहे की मदद
एक "शेर" जंगल में एक पेड़ की छाया में आराम फरमा रहा था कि तभी उसे एक "चूहा" दिखाई दिया। शेर ने उसे अपने पंजों से दबोच लिया। परंतु शेर को ना जानें क्या हुआ कि उसने "चूहे" को छोड़ दिया । चूहा उछलता हुआ भागते-भागते कहने लगा -- "मेरी जान बक्शने के लिए धन्यवाद शेरजी, देखना एक दिन मैं भी आपकी जान बचाऊंगा।" "चूहे की बड़ी-बड़ी बातें सुन शेर मुस्करा दिया ।" ........ कुछ दिनों बाद एक शिकारी ने उसी शेर के ऊपर जाल फैंक कर शेर को कैद कर लिया। चूहा पास से गुजर रहा था कि शेर को जाल में फंसा देखकर शिकारी से बचता हुआ चुपके से झट अपने दांतों से जाल काटने लगा। धीरे-धीरे चूहे ने सारा जाल काट दिया और "शेर" को शिकारी के चुंगल से मुक्त कराया। इस तरह छोटे से चूहे ने शेर की जान बचा ली।
नैतिक शिक्षा --
हमारे द्वारा की गई छोटी सी मदद किसी की भी जान तक बचा सकती है। और मदद करना कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है।
17 नुकसानदायक गुस्सा
एक ईच्छाधारी दानव जो अपना आकार-प्रकार बदलने की शक्ति रखता था, बहुत क्रूर और गुस्सैल था। बात - बात पर गुस्सा कर दूसरों को जान से मारना उसकी प्रवृत्ति थी। " दानव को केवल एक बार ही घर बना पाने का वरदान प्राप्त था।" एक बार उसने एक वृक्ष पर अपने लिए सुंदर सा घर बनाया। ..... दानव ने सोचा नयें घर में प्रवेश के पूर्व स्नान आदि कर लिया जाएं और स्नान करने वह नदी पर चला गया ।
लौट कर आया तो देखा उसी पेड के निचे, चींटीयों का झुंड एकत्रित हो गया था। दानव को चींटियों को देखकर बहुत क्रोध आया और उसने चींटियों को मारने के लिए उन्हें पैरो से कुचलना शुरू किया लेकिन एक चींटी ने उसके पैर में कांट लिया। दानव का क्रोध ओर बढ़ गया, तिलमिलाकर दानव ने पूरा का पूरा पेड़ जड़ सहित उखाड़ कर दूर फैंक दिया। गुस्से में दानव भूल गया था कि जिस पेड़ को उखाड़ कर वह फैंक रहा है, उसी पर उसका कई महिनो की मेहनत से तैयार किया हुआ "सुंदर सा घर" भी था।
नैतिक शिक्षा --
गुस्सा हमेशा नुकसानदायक होता है। अत्यधिक गुस्सा करने से स्वयं का ही नुकसान होता है।
18 गधे की बुद्धिमानी
एक गधा मालीक के चुंगल से आज़ाद हो भागते-भागते जंगल पहुंच गया । जंगल मे अचानक उसे कुछ दूरी पर शेर आता नजर आया । शेर बहुत भूखा था, गधे की तरफ क्रूरता से दहाड़ा । गधा समझ गया कि शेर भूखा है और आज उसे जान से मार देगा। गधे ने सोचा कि अगर पलट कर पीछे की तरफ भाग भी गया तो शेर बहुत जल्दी मुझे पकड़ ही लेगा क्योंकि दोनो के बिच की दूरी ज्यादा नहीं है । ...... तभी गधे ने आँखे बंद की और रोता हुआ मुंह बनाकर लंगड़ा कर चलने लगा। धिरे-धीरे गधे को अपनी ओर बढ़ता हुआ देखकर शेर वहीं खडा रहा और सोचने लगा कि गधा डर के मारे खुद ब खुद चलकर मेरे पास भोजन बनने के लिए आ रहा है । ....... जेसे ही गधा, शेर के पास पहुंचा तो शेर ने कहा -- "रे मूर्ख गधे !" तुम पीछे मुड़ कर भाग भी सकते थे परंतु तुम मेरी तरफ बढ़े । अब मैं तुम्हें खा जाऊंगा। ....... गधे ने कहा -- "शेरजी" मेरी एक विनती है । मुझे खाने के पहले आप मेरे पिछले पैर में चूंभे हुए बड़े से कांटे को मेरे पैर से निकाल दिजीए वरना यह बड़ा सा कांटा आपके कंठ में फंस जाएंगा और आपको इससे परेशानी भी हो सकती है।.... "शेर मन ही मन सोचने लगा कि गधा तो गधा ही होता है। मैं इसे खाऊंगा और ये मेरी ही भलाई सोच रहा है।" और शेर, गधे की बात मानते हुएं गधे के पिछले पैरो के समीप खड़ा हो कांटा देखने लगा । इतने में गधे ने पूरी ताकत से अपने पिछले पैरो से शेर पर वार कर दिया। शेर दर्द से करहाने लगा और इतने में गधा वहाँ से तेजी से भाग गया ।
नैतिक शिक्षा --
कभी भी किसी को मूर्ख और कमजोर मत समझों।
19 लकड़हारा
एक खूबसुरत छोटे से घने जंगल के वृक्षों पर बहुत से पक्षियों का बसेरा था। पक्षियों में आपस में बहुत सामंजस्य था। सभी हिलमिल कर प्रेम पूर्वक रहते थे। अचानक एक लकड़हारे को इस स्थान की जानकारी मिली। वह यहाँ आया और एक के बाद एक पेड़ों को काटने लगा। बहुत से पक्षियों का घोंसला टूट गया तो बहुत से पक्षियों के अंडे गिर कर टूट गए, कई पक्षियों के नंहे चूजे दब कर मर गए। ....... इस स्थिति को देखते हुए पक्षी यह स्थान छोड़कर अन्यत्र जाने लगें । "बुलबुल चिड़ियाँ" ने देखा तो लकड़हारे को सबक सीखाने का ठान कर सभी पक्षियों को एकत्रित किया और एक योजना बनाई । ..... फिर जब लकड़हारा लकड़ी काटने आया और हमेशा की तरह जब वृक्ष के निचे बैठ आराम फरमा रहा था तो तभी सब पक्षियों ने एकत्रित होकर अपनी चोंच से लकड़हारे पर वार कर दिया। तेज धार चोंच वाले पक्षियों ने लकड़हारे के हाथो को लहू-लुहान कर दिया था। लकड़हारा पास रखी अपनी कुल्हाड़ी तक नहीं उठा पाया। और अंततः लकड़हारा बुरी तरह घायल हो गया और जैसे तैसे वहाँ से भाग पाया। पक्षियों ने लकड़हारे को जंगल के बाहर पहुंचा कर ही दम लिया ।
नैतिक शिक्षा --
मुसीबत में घबरा कर भागना ही एकमात्र रास्ता नहीं होता है वरन् हिम्मत से उसका सामना करने से मुसीबत से निकला जा सकता है।
20 बंदर की टोपी
एक वृक्ष पर बहुत सारे शरारती बंदर रहते थे । ये बंदर कभी किसी की नकल करते तो, कभी किसी का सामान हाथ से छीन कर भाग जाते तो, कभी किसी चलते हुए राहगीर को चाँटा मार देते। बंदर इतने शरारती थे कि जिस राह पर बंदरों का ठिकाना था, उस राह से लोगों ने आना जाना ही बंद कर दिया था। .......... एक अजनबी आया जो टोपी बेचने का काम करता था। उसी वृक्ष के निचे विश्राम के लिए बैठा जहाँ बंदर रहते थे। थकान के कारण "टोपी वाले" की आँख लग गई । बंदरों का ध्यान जब "टोपी वाले" पर गया तो "टोपी वाले" का "टोपी का पोटला" छीन कर ऊपर वृक्ष पर चढ़ गएं। इनके शोरगुल से टोपी वाले की आँख खुल गई और उसने देखा सभी बंदर उसकी नकल करते हुए टोपी पहन कर बैठे है।
टोपी वाला बुद्धिमान था सो उसने पहले तो बंदरों से ईशाराबाजी की, बंदरों ने भी हूबहू टोपी वाले की नकल की। फिर टोपी वाले ने अपने सर की टोपी उतारी और दूर फैंक दी। बंदरों ने भी उसकी नकल करते हुए सारी टोपियाँ निचे फैंक दी। टोपी वाला मुस्कराया और जल्दी से सारी टोपी एकत्रित करके आगे की यात्रा पर निकल गया।
नैतिक शिक्षा --
नकल से बड़ी अक्ल होती है। अक्ल है तो हानि से बचा जा सकता है।
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