घमंडी गुलाब
एक बाग में बहुत से पेड़- पौधे लगे हुए थे। तरह-तरह के फूलों से लदे हुए पौधे बहुत ही मोहक लगते थे। इसी बगीचे में एक गुलाब का सुंदर सा पौधा भी था, इस पौधे के गुलाब की सभी बहुत तारिफ करते रहते थे, जिससे गुलाब के पौधे को स्वयं पर बहुत गुरूर हो गया था।
गुलाब के पौधे के पास में ही एक कैक्टस का पौधा लगा हुआ था। गुलाब का पौधा कैक्टस से ईर्ष्या रखता था। .... गुलाब हमेशा कैक्टस को कहते रहता था कि तुम कितने कुरूप हो। तुम्हारे पास तो ना फूल है और ना फल। मुझे तो तुम्हारे पास खड़े रहना बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
धीरे-धीरे समय बितते गया और गर्मी का मौसम आ गया। तेज धूप और पानी की कमी से सभी पौधे मुरझाने लगें। गुलाब भी पानी की कमी के चलते मूरझाते जा रहा था।
एक दिन एक चिड़िया आई और कैक्टस के पौधे पर बैठ कर उसने अपनी चोंच चूभोकर कैक्टस के अंदर एकत्रित पानी को पीकर पानी की तृप्ति कर ली। ......... यह देखकर गुलाब को आश्चर्य हुआ। तभी सूरजमुखी के पौधे ने गुलाब से कहा -- देखा! जिस कैक्टस को तुम भला-बुरा बोलते थे, वह तो विषम परिस्थितियों में भी जस का तस बना हुआ है और अपने अंदर एकत्रित पानी को पक्षियों में बांट रहा है। तो अब अगर तुम्हें भी अपनी जान बचानी है तो तुम भी कैक्टस से पानी ले सकते हो। वो मना भी नहीं करेंगा ।
गुलाब ने कैक्टस से क्षमा मांगी और स्वयं को जीवित रखने के लिए कैक्टस से पानी मांगा। कैक्टस मुस्कराया और उसने चिड़िया की मदद से गुलाब तक पानी पहुंचाया । गुलाब फिर से मुस्करा उठा । कैक्टस ने उसके प्राण बचा लिये थे।
अब गुलाब कैक्टस से सदैव विनम्र रहने लगा। और दोनो प्रिय मित्र भी बन गए थे। ""अब गुलाब को समझ आ चुका था कि असली सुंदरता रूप में नहीं गुण में होती है।""
नैतिक शिक्षा --
किसी का भी आंकलन बाहरी सुंदरता देखकर ना करें। वास्तविक सुंदरता गुणो से ही निर्धारित होती है।
0 टिप्पणियाँ