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"भविष्य की तैयारी" moral story for kids in hindi

                    


                       भविष्य की तैयारी

एक धर्म शाला में गप्पू नामक चींटा रहता था। दिवार के एक कोने में उसने अपना घर बना रखा था। गप्पू बहुत ही हंसमुख था परंतु लापरवाह भी था। एक सबसे बुजुर्ग  चींटा हमेशा "भविष्य के लिए तैयार" रहने के लिए  सबसे कहता रहता था, किंतु गप्पू उनकी भी ना सुनता। कभी-कभी उसके साथी उसे समझाते कि हमें भविष्य के लिए भी तैयार रहना चाहिए  परंतु  गप्पू हमेशा हंसता हुआ  यह कह कर उनकी बात टाल देता कि अभी कौन सा "" मैं बूढ़ा होने जा रहा हूँ,"" जो भविष्य की चिंता करू।

आए दिन धर्मशाला में कई लोग ठहरने आते रहते थे। इन लोगो के भोजन में से बहुत सा भोजन निचे भी गिर जाया करता था, रसोई घर में भी नए-नए पकवान मिल ही जाते थे। जिससे गप्पू और उसके साथियों को भर पेट भोजन मिल जाया करता था। 

एक बार लगातार बारिश होने की वजह से लोगो का धर्मशाला में आना-जाना  लगभग बंद ही हो गया था। गप्पू को जहां भर पेट भोजन मिलता था, वही यदा-कदा ही मिलने लगा। एक बार बहुत कंजूस सेठ़जी धर्मशाला में आए । गप्पू  मन ही मन बहुत खुश हुआ कि चलो कम से कम  भोजन तो मिलेगा। सेठ़जी जब भोजन की पोटली खोलते "गप्पू चींटा" पास जाकर खड़ा हो जाता  और इंतजार करता कि कब सेठ़जी कुछ निचे गिरा दे परंतु सेठ़जी भी पक्के व्यापारी ठहरे मजाल कि भोजन करते समय एक भी दाना निचे गिर जाएं । सेठ़जी तीन दिन ठहरे जितनी भी बार सेठ़जी कुछ खाते-पीते गप्पू चींटा समीप जाकर खड़ा हो जाता किंतु कुछ हाथ ना लगता। बहुत दिनों से भोजन नहीं  मिल पा रहा था। उस पर सेठ़जी की पोटली में से आने वाली भोजन की ख़ुशबू  "गप्पू चींटे" को बैचेन कर जाती। वह यहाँ-वहाँ भोजन ढूंढने लगा। भूख से व्याकुल गप्पू बहुत ही कमजोर हो चुका था। ...... अचानक एक दिन "गप्पू"  चक्कर खा कर गिर पड़ा ।  

जब उसे होश आया तो वह दिवार के कोने में बने अपने ही घर पर था। धीरे-धीरे आँखे खुलते ही गप्पू को उसके साथी दिखाई दिए जो उसे कह रहें थे कि देखा इसलिए कहते थे कि भविष्य के लिए तैयार रहो परंतु  तुम्हें कहाँ किसी की सुनना है। ..... हम लोगो ने तो बारिश के मौसम के लिए पर्याप्त भोजन एकत्रित कर रखा था जो आज हमें काम आ रहा है।  वो तो अच्छा है कि जब तुम बेहोश हुएं तो हमने तुम्हे देख लिया वरना तुम ना जाने किसके पैरो तले कुचल कर मारे जाते। बेसुध जो पडें थे हाल में बिचो-बिच। गप्पू ने साथियों की तरफ नजरें दौडाई तो उसे कुछ धूमिल सा याद आ रहा था कि केसे उसके साथी उसे बिच हाल से उठाकर लाए थे और अन्न के महीन टुकड़े धीरे-धीरे उसके मुंह मे डाल रहे थे और आज उनकी वज़ह से ही गप्पू जीवित हो उठा था।  गप्पू ने नम आँखों से अपने साथियों को धन्यवाद दिया। 

अब गप्पू समझ चुका था कि भविष्य के लिए तैयार रहने का मतलब सिर्फ बुढ़ापे के लिए तैयार रहना नहीं  है वरन  आने वाले हर दिन और हर मौसम में डटें रहना है।  

नैतिक शिक्षा  --

हमें भविष्य की कठिनाईयों से निपटने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए । हमें  हंसमुख तो होना ही चाहिए किंतु लापरवाह नहीं क्योंकि लापरवाही से ही हमारा आने वाला कल ज़ोखिम भरा हो सकता है।

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