जहरीला फल
एक बार एक तोता पिंजरे से आज़ाद हो गया। आज़ाद होकर तोता बहुत खुश था। वह तेजी से उड़ा जा रहा था, ताकि कोई उसे फिर से पकड़ कर पुनः पिंजरे में ना डाल सकें। उड़ते-उड़ते तोता एक जंगल में पहुंच गया। जंगल बहुत बड़ा और घना था । तरह-तरह के पशु-पक्षी यहाँ रहते थे। तोते ने भी एक पेड़ पर अपना ठिकाना ढूंढ लिया था।
तोते को इस नये जंगल में आए हुए चार दिन हो गए थे। आज तोते ने सोचा कि क्यूं ना आज पूरे जंगल की सैर की जाएं । तो यह सोचकर तोता जंगल में सैर के लिए निकल पड़ा । जंगल बहुत बड़ा था जिस वज़ह से तोता बहुत दूर उड़ आया। यह जंगल का वो हिस्सा था, जहां जहरीले पेड़-पौधे भी लगे हुए थे। थकान और भूख की वज़ह से तोता एक वृक्ष पर जा बैठा । यहाँ तोते की नजर टहनियों पर लटके लाल-लाल ताजा रसीले दिखने वाले आकर्षक फलों पर पड़ी। तोते की तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उसने सोचा चलो यहाँ बैठें-बैठें ही भोजन की व्यवस्था हो गई और जेसे ही उसने समीप की टहनियों के फलो को खाने की कोशिश की कि अचानक से उसे किसी ने फल खाने से रोक दिया । .......... तोते ने पलटकर देखा कि यह तो बुजुर्ग उल्लू है। उल्लू ने पुनः तोते से कहा -- भाई ! यह फल मत खाओ, यह बहुत जहरीले फल है।
तोते ने उल्लू से हंसते हुए कहा कि अब तुम मुझे बतलाओगें कि मुझे क्या खाना है और क्या नहीं । उल्लू कही का ! इस तरह तोते ने उल्लू का उपहास बनाया। ............. फिर भी उल्लू ने तोते को चेताया कि भाई मैं तुम्हारी भलाई के लिए ही कह रहा हूँ। मैं यहाँ वर्षो से रह रहा हूँ । मैं इस जंगल के सभी फल-फूल और वनस्पतियों के बारे में बहुत अच्छे से जानता हूँ । तुम जो फल खाने जा रहे हो, वह बहुत जहरीला फल है इससे तुम्हारी जान भी जा सकती है। यह कहकर उल्लू वहाँ से चला गया। तोते ने उल्लू की बात पर ध्यान नहीं दिया तथा यह भी पता लगाने की कोशिश भी नहीं की कि उल्लू सच कह रहा। .......... इतने सुंदर फल भी भला जहरीले हो सकते है,उल्लू तो उल्लू ही होता उसे कहा इतनी अक्ल । वो मूर्ख क्या जाने कि स्वादिष्ट फल किसे कहते है। यही सब विचार करते-करते तोते ने फल खाना शुरू कर दियें। फल इतने जहरीले थे कि जेसे ही तोते ने यह फल खाएं, कुछ ही मिनटों में तोते की मृत्यु हो गई। अनजानी जगह पर एक अनुभवी ( उल्लू) की बात ना सुनना तोते की मूर्खता का उदाहरण था, जिसकी कीमत तोते ने अपने प्राण देकर चुकाई थी।
नैतिक शिक्षा --
अनजानी जगह पर सोच-समझ कर ही जाएं । और कोई भी निर्णय किसी अनुभवी की बातो और अपने विवेक का उपयोग करके ही ले। जल्दबाजी में कोई निर्णय ना ले। अन्यथा हमारा ही नुकसान होगा । 🎈🎈🎈🎈🎈🎈
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