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कंजूस सेठ़जी


                      कंजूस सेठ़जी  

करोडीमल सेठ़जी गाँव के सबसे अमीर व्यक्ति थे। लेकिन बहुत ही कंजूस। यदा-कदा किसी की मदद कर भी दी तो बार-बार अपनी तारिफ करते हुए डिगे बगारना, उनकी आदत में ही शामिल था।

सेठ़जी के आनाज के गोदाम में कुछ गरीब मजदूर काम करते थे। रात में मजदूर गोदाम में ही सोते और गोदाम की रखवाली करते।

कड़ाके की ठंड थी। मजदूरो के पास कंबल नहीं थे। रात भर उन्हें कंपकंपाती हुई ठंड लगती थी।

सभी सेठ़जी के पास गए तथा अपना दुखडा सेठ़जी को सुनाया और कंबल के लिए निवेदन किया।

कंजूस मक्खीचूस सेठ़जी मुश्किल में पड़ गए। मजदूरो की दयनीय स्थिति को देखते हुए सेठ़जी से मना करते नहीं बना। अगले दिन सेठ़जी बाजार गए और बहुत ही पतले व सस्ते कंबल खरीद लाए और मजदूरों में बांट दिए। कंबल बांटते समय शेखी बतलाते हुए सेठजी ने मजदूरों से कहा -- लो यह कंबल रात में ओढ़ने के लिए रख लो और सुबह बताना रात कैसी कटी ??

अगले दिन मजदूर सेठ़जी के पास आए।सेठजी ने उनसे शेखी बगारते हुए पूछा --" रात कैसी गुजरी ? कंबल गरम थे ना ???

एक मजदूर ने कहा -- " हाँ सेठजी, कंबल बहुत गरम थे..... मगर सिर्फ एक घंटा के लिए।

सेठ़जी चकराए, पूछा -- क्या मतलब ?? 

मजदूर ने कहा -- " सेठजी कंबल बहुत पतले थे, ठंड बहुत लग रहीं थी। दोहराकर ओढ़ने पर भी हमारी ठंड नहीं गई।"

सेठजी ने पूछा --  फिर क्या किया ??

इस पर एक अन्य मजदूर ने कहा -- " फिर करना क्या था ??  हमने मिलकर सभी कंबलो में आग लगा दी और हम सब मजदूर एक घंटे तक आग तापते रहें। तब तो कंबल सचमुच बहुत गरम हो गए थे। बहुत मजा आया सेठ़जी ........ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।""

यह सब सुनकर कंजूस सेठ़जी बुरी तरह झेंप गए और उनकी नजरें जमीन में गड़ गई। 

नैतिक शिक्षा --

जरूरतमंदो की हमेशा मदद करें । यदि ईश्वर ने आपको इस लायक बनाया है कि आप किसी की मदद कर सकें तो मदद ईमानदारी से कीजिए अन्यथा आपकी मदद सामने वाले के लिए किसी काम की नहीं होगी।


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