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"एकजुटता"

 

                         एकजुटता

   जंगल में एक वृक्ष पर एक सांप रहता था। जंगल में सांप को बहुत सारा शिकार आसानी से मिल जाया करता था, जिससे सांप दिन- प्रतिदिन हष्ट-पुष्ट होते जा रहा था। ..... धीरे-धीरे सांप इतना वृहद और बड़ा हो गया कि उसका बिल में अंदर घुसना भी मुश्किल हो गया था।

अब सांप ने अपने लिए नये घर की तलाश शुरू कर दी। बहुत ढूँढने पर उसे एक विशाल वृक्ष पसंद आया। ... इस वृक्ष पर अन्य छोटे जानवरों व पक्षीयों के भी घर थे। इसी वृक्ष पर जमीन से जुड़ा हुआ चींटियों का भी मिट्टी से बना हुआ बड़ा सा घर था। यहां अनगिनत चीटियां रहती थी।

सांप ने जोरदार फूंकार लगाई और जानवरों और पक्षियों से यह वृक्ष दो दिन में  खाली करके कही ओर चले जाने के लिए कहा।

सांप के डर से बहुत से छोटे  जानवर और पक्षी इस विशाल वृक्ष को छोड़कर अन्यत्र जाने लगें । चींटियों ने सबको रोकना चाहा पर सब यह बोलकर चले गए कि इतने भयानक सांप का सामने हम यहाँ नहीं टिक पाएंगें ।  ............   दो दिन बाद सांप पुनः आया। उसने चींटियों को देखा कि सभी चींटियां अपने-अपने काम में मशगूल थी। चींटियां, सांप को देखकर भी भयभीत नहीं हुई। सांप ने जोर से फूंकार लगाई और चींटियों को गुस्से से कहा -  अगर तुम चींटियों ने अभी की अभी यह घर खाली नहीं  किया तो मैं तुम्हारा यह घर तोड़ दूंगा और तुम सब एक-एक करके मारी जाओगी। चींटियों ने सांप से कहा -- हमने बड़ी मेहनत से यह घर बनाया है और जंगल में एक यही स्थान है,जहाँ हम सब सबसे ज्यादा सुरक्षित है। आप ऊपर रह लेना और हमें यही निचे रहने दीजिए ।

सांप ने चींटियों की  कोई बात नहीं मानी और अपने बल का घमंड बताते हुए सांप चींटियों का घर तोडने के लिए आगे बढ़ने लगा। सभी चींटियां घर से बाहर आ गई और जेसे ही सांप करीब पहुंचा सबने चारो ओर से एकसाथ सांप को काटना शुरू कर दिया । इससे पहले की सांप कुछ कर पाता, चींटियों ने सांप को काट-काट कर अधमरा कर दिया। सांप ने हारकर चींटियों से माफी मांगी और फिर कभी भी इस ओर नहीं आऊंगा कहते हुए जान की भीख मांगी। जैसे-तैसे, सांप अपनी जान बचाकर वहां से जा पाया। .... अब चींटियां हंसी-खुशी वहां  रहने लगी और वह छोटे जानवर व पक्षी जो कि अपना घर छोडकर चले गए थे, पुनः वापस आने लगे और अब सबने मिलकर किसी भी मुसीबत का सामना करने का प्रण लिया क्योंकि सभी जान गए थे कि यदि सांप जेसी बड़ी मुश्किल से लड़ना है तो चींटियों की तरह संगठित होना होगा। चींटियों की ही एकजुटता की वजह से आज सभी हंसी खुशी रहने लगे।

नैतिक शिक्षा 

बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना भी साहस से और एकजुट होकर किया जा सकता है। इसलिए सभी एकजुट और संगठित होकर रहें। 

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