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"पहाड़ की निंद"

               पहाड़ की निंद

short story with moral in hindi for kids/ छोटे बच्चों की नैतिक कहानी हिन्दी में

एक बार चींटियों का समूह एक पहाड़ पर से होकर जा रहा था । तभी उस पहाड़ ने चींटियों को रोकर पूछा --  आज कहाँ जा रहीं हो सब एक साथ ??

चींटियों ने मुस्कुराते  हुए कहा -- हम काम पर जा रहीं है। भोजन ढूंढने के काम पर।

पहाड़ ने उदास होकर कहा -- तुम जेसे नन्हें से जीव के पास भी काम है करने के लिए। लेकिन सिर्फ मेरे पास ही कोई कार्य नही है। मैं तो कही आ-जा भी नहीं सकता। मैं अपनी इस उबाऊ  स्थिति से बहुत दुखी हूं ।

चींटियां बोली -- लेकिन आप इतने दुःखी क्यूं हो रहे हो ? यह तो अच्छा है ना कि आपको कोई काम नहीं  करना पड़ता ।

पहाड़ ने कहा -- नहीं,  यह अच्छी बात नहीं है। कुछ भी काम नहीं करने की वज़ह से मैं  आलसी और निरस होते जा रहा हूँ । काम नहीं होने से थकान नहीं  होती और थकान नहीं  होने से अब तो मुझे निंद भी नहीं आती।

चींटियों को पहाड़ की परेशानी  समझ आ गई। सबसे अनुभवी चींटी ने कहा -- हम आपको एक काम बता सकते है, क्या आप कर सकोगे ?? 

पहाड़ खुश होकर बोला -- हाँ, हाँ क्यूं नहीं !

चींटी ने कहा -- आज आप हम चींटियों की कतार में  जितनी भी चीटियां आ रहीं  है, उन्हें गिनकर बताओ।

पहाड़ ने चींटियों को गिनना शुरू किया। गिनते-गिनते पहाड़ थक गया क्योकिं चींटियों की कतार बहुत  लंबी थी। पहाड़ ने आज बहुत दिनों बाद कुछ काम किया था। आज तो पहाड़ थक भी गया था, जिसकी वज़ह से पहाड़ चेन की निंद सो पाया। 

नैतिक शिक्षा--

व्यक्ति को कुछ ना कुछ कार्य सदैव करते रहना चाहिए । अन्यथा अनेक शारीरिक और मानसिक परेशानी उत्पन्न हो सकती है।

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