दूसरों की सलाह
moral story for kids in hindi with moral
एक छोट़े व्यापारी के पास एक गधा था। व्यापारी अपना सामान शहर के बाजारों में बेचा करता था। इसके लिए वह सारा सामान गधे की पीठ पर लादकर लाना-ले जाना करता था। ...... गधा रोज़-रोज़ बोझ उठाकर तंग आ गया था। गधे को इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी।
एक दिन गधा सामान पीठ पर लादकर उदास होकर अपने मालिक के साथ बाज़ार की ओर चला जा रहा था। अचानक गधे की पीठ पर एक कौवा आ बैठा। यह कौवा रोज गधे को आते-जाते देखा करता था। कौवे ने गधे से पूछा -- क्या बात है भाई ! बड़े उदास लग रहें हो ??
गधे ने कहा -- रोज़ रोज़ बोझा उठाकर मैं बहुत परेशान हो गया हूँ । मैं आराम चाहता हूँ। ........ कौवे ने गधे को सलाह दी कि तुम सामने वाली नदी में पूरे सामान सहित गिरने का नाटक करों, जिससे मालिक का नुकसान होगा और वह फिर तुमसे काम नहीं करवायेंगा। ...... गधे को कौवे की बात जंच गई । थोडी ही दूरी पर नदी थी, इस नदी को पार करते समय बीच में ही गधा नदी में जान-बूझकर गिर पडा । ..... साथ चल रहें व्यापारी ने बड़ी मुश्किल से एक राहगीर की मदद से गधे व सामान को बाहर निकाला.... राहगीर ने व्यापारी को सलाह दी कि शायद तुम्हारा गधा नदी का पानी देखकर ड़र गया है। तभी तो अचानक बेहोश हो गया है। तुम कोशिश करना कि तुम्हारा गधा कुछ दिन नदी ना देख सकें । ........... गधा राहगीर की सलाह सुन कर मन ही मन बड़ा प्रसन्न हो रहा था कि चलो कम से कम राहगीर की सलाह से कुछ दिनों तक व्यापारी मुझसे कोई काम नहीं करवायेंगा, क्योंकि नदी के रास्ते के अतिरिक्त अन्य कोई भी रास्ता है ही नहीं। और नदी तो गधे को पार करनी ही नहीं है। तो चलो बचे सामान ढ़ोने से।
जैसे-तैसे व्यापारी घर पहुंचा । व्यापारी ने गधे की पूरी रात बड़ी देखभाल की। दूसरे दिन गधा तो अतीप्रसन्न था, आखिरकार गधे का बेहोशी का नाटक कामयाब जो होते जा रहा था ..... आज तो व्यापारी बाजार सामान बेचने भी ना जा सका । व्यापारी की बीवी बहुत चतुर थी। उसने व्यापारी को युक्ति सुझाई। .... अगले दिन व्यापारी हमेशा की तरह ही सामान बेचने जाने के लिए तैयार हो गया। सारी तैयारी के बाद व्यापारी ने गधे को भी कुछ खिलाया-पिलाया और एक काले रंग की पट्टी गधे की आँखों पर बांध दी तथा सारा सामान गधे की पीठ पर लाद दिया और एक रस्सी गधे के गले में बांधकर रस्सी को खींचता हुआ आगे चलने लगा। गधे को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था । गधे को कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था। गधा ढेंचू-ढेंचू चिल्लाने लगा। व्यापारी ने शोर सुनकर दो डंडे भी गधे को जड़ दिये। ..... अब गधे को समझ आ चुकि थी कि कौवे की गलत सलाह मानकर उसने गलती कर दी। गधे ने सोचा कि इससे तो मैं पहले ही अच्छा था। पहले तो सामान ही लादना पड़ता था परंतु अब तो आँखों पर काली पट्टी बांधकर और डंडे खाते हुऐ सामान ले जाना पड़ रहा है।
नैतिक शिक्षा--
किसी की सलाह मानने से पहले विचार कर ले कि यह आपके लिए सही होगी या नहीं। खासकर झूठ बोलकर नाटक करने की सलाह को कभी भी ना मानें अन्यथा हमारा दोहरा नुकसान होना तय है।
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