"नकली बाघ"
एक चालाक धोबी था उसके पास एक गधा था। धोबी लालची प्रवृत्ति का था।
एक दिन धोबी को मरा हुआ बाघ मिला ।उसने सोचा मैं गधे के ऊपर इस बाघ की खाल को डाल दूंगा और उसे पडोसियों के खेत में चरने के लिए छोड दिया करूंगा।
किसान समझेंगे कि सचमुच बाघ है और उससे डरकर दूर रहेंगे । इस तरह मेरा गधा आराम से खेत में चर लिया करेंगा । और मेरे पैसे, जो गधे के आहार में खर्च होते है, बच जाया करेंगें । ................. धोबी ने ऐसा ही किया। धोबी की योजना काम कर गई। एक रात गधा चर रहा था तो उसे अचानक एक अन्य गधे की रेंकने की आवाज आई। धोबी का गधा आवाज सुनकर इतने जोश में आ गया कि वह भी जोर जोर से रेंकने लगा।
" गधे की आवाज सुन किसान अपनें-अपने घरों से बाहर आ गयें और गधे को बाघ की खाल में देखकर सारा मांजरा समझ गये। सभी ने गधे की पिटाई कर डाली। किसानो ने धोबी को भी बाते सुनाई " ........... अब जाकर धोबी की अक्ल ठिकाने आई और गधे के ईलाज में उसे डबल पैसे खर्च करने पड़े । धोबी अपना सिर पकड कर बैठ गया।
नैतिक शिक्षा -- सच्चाई नही छुपानी चाहिए। जो जैसा है , उसे वैसा हो बताएं वरना एक झूठ की वजह से डबल नुकसान उठाना पड सकता है।
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