नकली सुंदरता
एक सारस रोज मोरों को देखता और उनकी सुंदरता पर मोहित होता। मोरों के सुंदर पंख, उनका मस्ती से नाचना-कूदना सारस को बहुत भाता।
एक बार वह उस स्थान पर पहुँचा, जहां मोर रहा करते थे। वहां बहुत सारे मोरों के पंख गिरे पडे थे।
सारस ने एक-एक करके मोर पंख उठाए और अपने पंखों पर चिपका लिए। सारस मोर पंख लगाकर बहुत खुश था, उसे लगा कि नकली मोर पंख से वह सुंदर बन गया है। वह मोरों की तरह पंख फैला-फैलाकर खूब नाचा। ......... अब सारस यह पंख लगाकर सारे जंगल में घूमता रहता तथा अपनी नकली सुंदरता पर इतराता।
अब तो सारस मोरों के पंख लगाकर मोरों के झुंड में ही नाचने लगा। एक दिन मोरों ने सारस को नकली पंख लगाते देख पहचान लिया।
सभी मोरों ने मिलकर सारस को अपनी चोंच से मार-मार कर घायल कर दिया।
ईधर सारस द्वारा नकली सुंदरता के लिए अपने समूह की इस तरह हंसी करवाने के कारण वह सारसों के समूह से भी निकाला गया।
नकली व बनावटी सुंदरता को अपनाने की सज़ा सारस को मिल चुकी थी।
नैतिक शिक्षा -- किसी की सुंदरता का प्रशंसक होना अच्छी बात है किंतु दूसरो की तरह बनने के लिए हमे नकली सुंदरता को नहीं अपनाना चाहिए ।
0 टिप्पणियाँ