हिरन और कौआ
एक हिरन और एक कौआ बहुत ही पक्के दोस्त थे। जंगल में दोनो की दोस्ती के चर्चे मशहूर थे।
एक दिन कौए ने हिरन और सियार को बातें करते हुए देखा। धीरे-धीरे हिरन और सियार की बातचीत बढ़ती जा रहीं थी। कौआ जानता था कि सियार बहुत चालाक है। कौए ने अपने मित्र हिरन को समझाया कि सियार बहुत चालाक है। वह चालाकी से तुम्हें अपनी बातो में फंसा रहा है। सियार पर ज्यादा भरोसा मत करना।
हिरन ने कौए की सलाह पर ध्यान ना देते हुए सियार से दोस्ती जारी रखी। एक दिन सियार की बातो में आकर हिरन उसके साथ एक खेत में चला गया।
खेत में पहुंच कर हिरन वहाँ लगे जाल मे फंस गया। सियार पहले से ही जानता था कि खेत में जाल कहाँ बिछा है। ......................... अब सियार ने कहा -- मैं जाता हूँ और किसान को बुलाकर लाता हूँ । किसान आएगा तथा तुम्हें मार डालेगा। और मुझे भी गोश्त का हिस्सा देगा।
सियार दोड़ कर किसान को बुलाने चला गया। हिरन चिल्लाने लगा।.... "अपने मित्र हिरन की आवाज सुन कर कौआ तुरंत सहायता हेतु आ गया।" ..........कौए ने हिरन से कहा -- "तुम लेट जाओ और किसान के सामने मरने का नाटक करो।"...... थोडी ही देर में सियार के पीछे-पीछे किसान भी वहाँ आ गया।
किसान ने देखा कि जाल में फंसा हिरन तो मरा हुआ है अतः उसने जाल खोल दिया। जेसे ही जाल खुला हिरन तेजी से बाहर की ओर दोड़ पड़ा । ईधर किसान ने गुस्से में सियार की पिटाई कर डाली।
इस प्रकार मित्र कौए की मदद से हिरन की जान बच गई । अब हिरन समझ चुका था कि सच्चे दोस्त कभी गलत सलाह नहीं देते।
नैतिक शिक्षा -- सच्चे दोस्त हमेशा हमारा भला ही चाहते है। हमें हमेशा सही सलाह देते है और बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी हमारी मदद करते है।
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