चालाक लोमड़ी
एक लोमड़ी एक कुएं में गिर गई। कुएं की गहराई ज्यादा नहीं थी। कुछ देर तक वह कुएं से बाहर निकलने के लिए बहुत प्रयास करती रही। किंतु नाकामयाब ही रही। कुछ सोचने के बाद अब वह ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर गाना गाने लगी।
कुएं के आस-पास से निकलने वाले जानवर लोमड़ी की आवाज़ सुनते, कुछ देर रूक कर लोमड़ी को देखते परंतु लोमड़ी के व्यवहार की वज़ह से कोई उसकी मदद नहीं करता ।
कुछ समय पश्चात वहां एक बकरी आई जो कि लोमड़ी को नहीं जानती थी। बकरी ने लोमड़ी से पूछा -- "आप कुएं के अंदर केसे गिर गई ??"
लोमड़ी बोली -- "नहीं नहीं बहन मैं कुएं में नहीं गीरी बल्कि मैं खुद ही कुएं में आ गई क्योकिं मैंने सुना है कि बाहर पानी खत्म होने वाला है और इसके लिए आज से ही कुएं मे अपनी जगह के लिए उपस्थिति दर्ज (इंट्री) करवानी थी, ताकि बाहर पानी खत्म होने पर इस कुएं से पानी मील जाए वरना अपन तो प्यासे ही मर जाएंगे !!.. ........अरे ! मैं तो कहती हूँ कि तुम भी अभी ही इस कूऐ मे अपनी इंट्री करवा लो।
बकरी ध्यान से लोमड़ी की बात सुन रही थी। बकरी जल्द ही लोमड़ी की बातों में आ गई और बकरी ने बीना सोचे-समझे कुएं के अंदर छलांग लगा दी।
जेसे ही बकरी ने कुएं में प्रवेश किया, लोमड़ी ने बकरी की पीठ के ऊपर चढ़ कर कुएं के बाहर छलांग लगा दी। अब लोमड़ी कुएं के बाहर आ गई और बकरी कुएं के अंदर ।
लोमड़ी ने पलट कर बकरी से कहा -- चिंता मत करो ! तुम्हें तो कोई ना कोई यहाँ से बाहर जरूर निकाल लेगा। परंतु आगे से किसी बात को जाने समझे बगैर किसी की भी बात में मत आना समझी।
कुएं के अंदर फंसी बकरी ऊपर की तरफ लोमड़ी को निहार रहीं थी और अपनी नासमझी पर पछता रहीं थी।
नैतिक शिक्षा -- किसी के बहकावे में ना आए। किसी अजनबी की बातो की सच्चाई को समझे बीना उस पर विश्वास ना करें । वरना बकरी की ही तरह हम भी धोखा खा सकते है।
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