लालच का नतीजा
आज लालाजी की किराना दुकान के सामने एक नौकर से गलती से बहुत सारा शहद रोड़ पर गिर गया । मक्खियों के झुंड में से एक मक्खी यह खबर अन्य मक्खियों को दे रहीं थी । ......... शहद का नाम सुनते ही अन्य मक्खियों के मुंह में पानी आ गया। उत्साहित एक मक्खी ने सहसा पूछ ही लिया -- क्या हम सबका पेट भर सकेगा, इतना शहद होगा वहां??
हाँ, हाँ वहां तो इतना शहद गिरा पड़ा है कि हमारे झुंड जैसे ही चार-पांच ओर झुंड भी भर पेट शहद खा सकें। अब सब जल्दी चलो। फिर सभी रोड़ पर गिरे शहद की ओर लपकी। शहद बहुत स्वादिष्ट था।
तभी झुंड की सबसे बुजुर्ग मक्खी ने कहा -- अब तक तो हम सबका पेट भर गया है, अब हमें यहाँ से वापस चलना चाहिए।
बुजुर्ग मक्खी बार-बार वापस चलने का आग्रह करती रहीं परंतु किसी ने भी बुजुर्ग मक्खी की बात नहीं सुनी और कहने लगी आपको जाना है तो जाओ, हम तो अभी ओर शहद खाएंगे अतः बुजुर्ग मक्खीं तो उड़ कर पेड़ की टहनी पर जा बैठी और अन्य मक्खीयां शहद की लालच में वहीं बैठी रही।............. कुछ समय पश्चात जब शहद पर बैठी मक्खियों ने उड़ना चाहा तो मक्खियां ज्यादा शहद खाने की वज़ह से उड़ नहीं पा रहीं थी।
अंततः मक्खियां उसी शहद में चिपक कर रह गई और भिनभिनाती हुई मर गई।
दूर टहनी पर बैठी बुजुर्ग मक्खी यह दृश्य देखकर मन ही मन सोचने लगी-- लालच का फल हमेशा बुरा ही मिलता है।
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नैतिक शिक्षा -- ज्यादा लालच हमेशा नुकसानदायक ही होती है। इसलिए आवश्यक्तानुसार ही कर्म करें क्योंकि ज्यादा लालच का अंत हमेशा ही दुखदायी होता है।
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