आज़ाद तोता
short story with moral for kids in hindi/छोट़े बच्चों की नैतिक कहानी हिन्दी में
एक बार एक तोता पिंजरे से आज़ाद हो गया। बहुत समय से पिंजरे में बंद रहते- रहते वह बहुत दुखी हो गया था। परंतु अब वह आज़ाद था, वह बहुत खुश था और तेजी से दूर उड़ गया।
उड़ते-उड़ते तोता एक जंगल में पहुंच गया, जहां एक वृक्ष के ऊपर वह ठहर कर विश्राम करने लगा। थोड़ी देर बाद तोते का ध्यान उसी वृक्ष के निचे बैठे एक वृद्ध हाथी पर गया। ................ तोते को शरारत सूझी। तोते ने उड़ कर हाथी के सिर पर अपनी चोंच चुभोना शुरू कीया। हाथी खिजला कर वहां से उठकर दूसरे स्थान पर चला गया। ......... तोता उड़ कर फिर उसके पीछे आ गया और हाथी के सिर पर बार-बार चोंच से वार करने लगा। तोते को ऐसा करने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
हाथी शांत रहा और दूसरे स्थान से उठकर पास की नदी के पानी में बिच में जा बैठा। तोते ने यहाँ भी हाथी का पिछा नहीं छोड़ा। तोता हाथी के सर पर फिर से वार करने लगा। ............. किंतु इस बार हाथी को गुस्सा आ गया और उसने अपनी सूंड में ढेर सारा पानी भरकर तोते पर फैंका । यह पानी इतनी तेजी से तोते पर आया कि तोता स्वयं को संभाल भी नहीं पाया और ठंडे पानी से उसका शरीर कांपने लगा,वह पंख भी ठीक से नहीं फैला पाया। हाथी ने भी तोते के ऊपर तब तक पानी फैंका, जब तक की तोते के होश ठिकाने ना आ गये। लगातार पानी की थपेडों से तोता अधमरा सा हो जमीन पर गीर पड़ा । अब वह वृद्ध हाथी से माफी मांगने लगा। वृद्ध हाथी ने अपनी सूंड से उसे सहलाया । और हाथी वहां से चल दिया। ........................
अब तोता समझ चुका था कि दूसरो को परेशान करना कदापि सही नहीं है।
नैतिक शिक्षा
मज़ाक सोच-समझकर करें । खासकर बड़ो से मर्यादित मजाक करें। .... तोता पिंजरे में बंद रहने की वज़ह से दूसरो के साथ सामंजस्य और सौहार्द्रता भूल गया था। किंतु इस घटना ने तोते को सबक सीखा दिया कि यदि सबके बिच में रहना है तो अपनी आज़ादी और खुशी को व्यक्त करना तभी तक उचित है,जब तक कि इससे दूसरो को कोई हानि ना हो रही हो।
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