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"मित्रता" very short / small story for kids with moral in hindi/छोट़े बच्चों की छोट़ी कहानी हिन्दी में

 

                     

                    "मित्रता"

एक केकड़ा अपनी मस्ती में उछलता कूदता समुद्र के किनारे अपने पैरो के निशान बनाता और उन्हें देखकर खुश होता। उसे ऐसा करना अच्छा लग रहा था।

तभी समुद्र की लहर आई और केकड़े के द्वारा बनाये पैरो के निशान को मीटाती चली गई।

केकड़े को बहुत गुस्सा आया वो लहरों से बोला -- "तुम तो मेरी घनिष्ठ मित्र हो और फिर भी तुम्हें मेरा खेलना, मुस्कराना पसंद  नहीं। "
लहर ने मुस्कुराते हुए कहा -- नहीं मित्र ऐसी बात नहीं है। मेंरे तट पर तो ना जाने कितने अनगिनत,अनजान लोग आते है और हंसते मुस्कराते खेलते है। तो फिर तो तुम तो मेरे घनिष्ठ मित्र हो। ज़रा उधर भी देखो ।

जेसे ही केकड़े ने पीछे देखा उसे दूर दो  मछुआरे दिखाई दियें जो कि समुद्र तट के केकड़ो को ही पकड़ रहे थे।

अब केकड़े को लहर की बात समझ आई कि यदि लहर उसके पैरो के निशान नहीं मिटाएंगी तो मछुआरे इन निशानों के जरिए जल्द ही उस तक पहुँच जाएंगे और उसका शिकार कर लेगें।

केकड़ा ने बहुत शर्मिंदा हो नम आँखों से लहर की तरफ़ देखा और लहर ने झूमकर केकड़े को भींगो दिया, मानो लहर कह रहीं हो चलो अब मुस्करा भी दो मेरे दोस्त । 

नैतिक शिक्षा -- सच्चे दोस्त हमेशा हमें मुसीबत से बाहर निकालने में हमारी मदद करते है। और यही सच्चे दोस्त की पहचान है।

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