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"आओ गप्प मारे" Bal kahaniya /chote baccho ki majedar kahaniya in hindi बाल कहानियाँ/ छोटे बच्चों की मजेदार कहानियाँ हिंदी में

 


Bal kahaniya /chote baccho ki majedar kahaniya in hindi बाल कहानियाँ/ छोटे बच्चों की मजेदार कहानियाँ हिंदी में 
                


            "आओ गप्प मारे"


रमेश और उमेश नाम के दो दोस्त थे। बहुत दिनों से केरम और शतरंज जैसे खेल, खेल रहे थे। परंतु एक दिन उनका मन नहीं कर रहा था कि वो इन खेलो को खेले। 


रमेश🧒 ने कहा -- मैं तो बोर हो गया केरम और शतरंज खेलते खेलते । चलो आज कोई नया गेम खेले। 


उमेश🙎‍♂️ ने आयडिया दिया -- " चलो गप्प लड़ाते है।"


रमेश 🧑ने कहा    -- अरे ! यह कोई खेल होता है क्या ? 


उमेश 🙎‍♂️ने कहा    --चलो खेल कर देखते है। आज हम ऐसी मजेदार गप्प मारेंगे, जो कभी भी सच ना हो।.............. तो चलो गप्प मारें। "शुरुवात मैं ही कर देता हूँ ।"


उमेश🙎‍♂️    -- " ये जो हमारे सामने अमरूद का पेड़ है ना, रात में बगीचे के तालाब की मछलियाँ इस पर लट़क कर झूला झूल रही थी। हाँ और झूलते-झेलते अमरूद भी खा रही थी। "🐋🐋🦈🦈...........झूला झूलती रंग-बिरंगी मछलियों से पेड़ ऐसा जगमगा रहा था,मानो यह लालपरी का राजमहल हो।🧚‍♀️🧚‍♀️


"अच्छा !"🤔    रमेश ने  अचरज से कहा, "और हाँ हमारे बगीचे में जो आम का पेड़ है ना, उस पर चाँद सो रहा था। 🌛🌚...........

और उससे चारो ओर ऐसी प्यारी-प्यारी रोशनी झर रही थी कि तुम्हारे अमरूद के पेड़ की मछलियों🐡🐟 ने गाना, "गाना💤💤 शुरू कर दिया।"


"अच्छा ! " कौन सा गीत गा रही थी हमारी मछलियाँ ?"  उमेश ने पूछा।🙎‍♂️


"अरे वही चंदा मामा 🌚 दूर के पुए पकाएं बूर के "  रमेश ने उत्तर दिया।🧑

🤔 "अच्छा !  फिर क्या हुआ ?"🙎‍♂️


🧑 "फिर क्या होता, मछलियों के  जोर जोर से गीत गाने के कारण चाँद🌝की नींद टूट गई और वह धड़ाम से मेरी छत पर गिर पड़ा ।😁😉  

"फिर !"

"फिर !" क्या था ? चाँद तो गिरते ही फूट गया "🌙⛈🤯


" हाय, सच !"  चाँद फूट गया फिर उसके टुकड़े  कहाँ  गए  ?  उमेश ने आश्चर्य से पूछा।🤔🙎‍♂️


" सुबह-सुबह  सूरज 🌞आया। उसने चाँद को बिखरे हुए देखा। आख़िर सूरज से रहा नहीं  गया और उसने काले रंग का मरहम लगा दिया। विश्वास ना हो तो रात को देख लेना चाँद पर काले धब्बे है या नहीं !" रमेश ने कहा।🧑

"अच्छा  ठीक है  मै रात को देखने की कोशिश करूँगा ",  उमेश ने कहा।🙎‍♂️

 

अब गप्प मारने की बारी उमेश की थी।😁


उमेश 🙎‍♂️  -- पिछले साल जब तुम्हारें पापा का ट्रांसफर यहाँ नहीं हुआ था और तुम लोग यहाँ नहीं रहते थे, तब खूब ज़ोर की बारिश हुई। ⚡🌧🌧🌨⚡☔☔

इतनी तेज़ बारिश हुई की बूँदों की जगह पानी, किसी रस्से की तरह लग रहा था।😶


थोड़ी देर तो "मैं" पहले खूब नहाया फिर पानी के रस्से पकड़ कर ऊपर चढ़ गया।🧗‍♂️🧗‍♂️😉😉


रमेश 🧑  --  😳""अच्छा फिर !"" ( रमेश ने आश्चर्य से पूछा।) 😒


उमेश  🙎‍♂️  --"" फिर क्या ? मैं नीले रंग के बादलों के बिच था।"" ☁️☁️ बादल का एक हेलिकॉप्टर ✈ मैंरे पास आया और मुझे पूरे आसमान की सैर करा लाया।🏂🏂🏂😉😉....


मैंने देखा वहां धूप से इन्द्रधनुष के छोट़े-छोट़े घर बने हुए थे।🌈🌈 """एक बगीचे में सूरज हरी-हरी घास पर लेटा आराम कर रहा था।""🌞🌝 🤸‍♂️🤸‍♂️

उसी बगीचे में बादलों के झूले बने हुए थे ।नन्हें-नन्हें सितारे धमा-चौकड़ी मचा रहे थे।🌠🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌠


सितारे भी कभी धमा-चौकड़ी मचाते है?? बिच में ही पिंकी ने टोका। ।🙎‍♀️ ...............( पिंकी ना जाने कब रमेश और उमेश के बिच आकर खड़ी उनकी गप्प सुन रही थी। दोनो को पता ही ना चला। )


रमेश 🧑   -- अरे ! पिंकी दीदी ! आप ............. हम कोई सच बाते थोड़ी ही कर रहें  है।  रमेश ने झेंपते और शर्माते हुए कहा ।🙆‍♀️


""अच्छा तो तुम दोनो झूठ बोल रहे हो ?"" पिंकी दीदी ने आँखें तेररकर कहा।🙍‍♀️


उमेश🙎‍♂️  -- अरे नहीं,  झूठ नहीं । हम तो बस रिफ्रेश होने के लिए गप्पें हाँकने और गप्पें लड़ाने का खेल, खेल रहे थे। बस...


पिंकी दीदी 🙎‍♀️  -- "अरे भई !  ऐसी गप्प का हाँकने से क्या  फ़ायदा जिससे ना किसी का उपकार हो और ना ही किसी का भला ??""


वैसे थोड़ी देर पहले मैंने भी एक गप्प हाँकी और दो बच्चों का भला किया है।🙂

   (( पिंकी दीदी मुस्करा कर बोली ))


""वो कैसे ?""  दोनो ने एक साथ पिंकी दीदी से पूछा ।👥👀


पिंकी दीदी--   अभी थोड़ी देर पहले तुम दोनो की मम्मियाँ 👀 तुम दोनो को पढ़ने के लिए बुला रही थीं । वे दोनो गुस्से में थी, उन्हें लगा कि तुम दोनो अपना होमवर्क करना भूलकर अभी तक बगीचे में खेल रहें होंगे ।😡😡


उमेश बोला 🙎‍♂️ --    क्या  !😱 ..... अब तो.....शामत आई  समझो😵🤪


रमेश बोला  🧑   --  बाप रे !....😱 आज तो पिटाई पक्की है।🤢🤪


पिंकी दीदी 🙎‍♀️  -- हाँ,  पर मैंने भी एक गप्प हाँकी  कि आप दोनो मेरे घर पर बैठे पढ़ाई  कर रहे है। 👨‍🏫👨‍🏫 ।।........यह सुनकर तुम दोनो की मम्मियाँ  शांतभाव से चली गई पर जाते-जाते तुम दोनो को जल्दी घर वापस भेजने के लिए कहकर गई है।


इतना सुनते ही रमेश और उमेश  दोनो गप्प हाँकना भूलकर अपने-अपने घर की तरफ भागे।🏃‍♂️🏃‍♂️  दोनो को डर था कि कहीं  उनकी मम्मी उनकी पिटाई  ना कर दे।🏃‍♂️🏃‍♂️


लेकिन जब वे घर पहुंचे  तो उन्हें  सुखद  आश्चर्य हुआ । 😳😳 उनकी मम्मियों ने उन्हें डाँटा नहीं बल्कि प्यार भी किया और साथ ही सुबह - सुबह पढ़ाई करने के लिए शाबाशी भी दी।👨‍🏫👨‍🏫🤫🤫🤫🤭🤭


"इस बार तो मैंने एक गप्प हाँक कर तुम दोनो को बचा लिया 💁‍♀️परंतु आगे से अगर होमवर्क किये बीना ही खेलने निकले तो मैं  सच्ची वाली गप्प हाँक कर आपकी मम्मियों को सब सच-सच बता दिया करूंगी।" 🙅‍♀️😜😜

🙎‍♀️और पिंकी दीदी खिलखिला कर हम दोनो पर हंस रहीं थी।🤣🤣


अपनी मम्मियों  का प्यार देखकर  दोनो को  बार-बार पिंकी दीदी की बात☝️ याद आ रही थी। (जो कि कोई गप्प नहीं वरन सच में कही बात थी।) 👼👼😅😅🙂🙂


 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤



 

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