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"चतुर खरगोश" Bal kahaniya /chote baccho ki majedar kahaniya in hindi बाल कहानियाँ/ छोटे बच्चों की मजेदार कहानियाँ

 


           "चतुर खरगोश"

Bal kahaniya /chote baccho ki majedar kahaniya in hindi बाल कहानियाँ/ छोटे बच्चों की मजेदार कहानियाँ हिंदी में 





एक बड़े से जंगल में  बहुत सारे जानवर रहते थे। सभी जानवर जंगल में हंसी खुशी से रहते थे लेकिन कुछ समय से इस जंगल में " शेरसिंह नामक एक शेर आ गया था। "


शेरसिंह  बहुत ही बलवान शरीर वाला एक खूखांर शेर था। उसने पूरे जंगल में आतंक मचा रखा था। हर दिन वह चार-पाँच  जानवरों को अपना शिकार बनाता । शेरसिंह के ड़र से जानवरों का जंगल में बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो गया था।

एक दिन सभी जानवरों  ने हिम्मत करके एक सभा बुलाई। सभा में  निर्णय लिया गया कि जंगल के जानवरों में  से एक जानवर को स्वेच्छा से शेरसिंह का भोजन बनना होगा, इससे शेरसिंह अपनी गुफा से बाहर नहीं आएगा और दूसरे जानवरों को  कुछ दिन ज्यादा जीवित रहने का समय मील सकता है और वह अपने परिवार के बिच में कुछ ओर समय बिता पाएंगे

  सभी जानवरों ने एकजुट होकर हिम्मत करके  शेरसिंह से इस बारे में बात की और कहा -- महाराज, हम जानवरों ने निर्णय लिया है कि स्वेच्छा से हम एक एक करके आपके लिए शिकार बन जाएंगे इससे  आपको भी गुफा में ही शिकार रूपी भोजन मील जाया करेंगा।

शेरसिंह जानवरों की बात सुनकर मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ और 🤔 सोचने लगा कि इससे अच्छी बात ओर क्या हो सकती है कि मुझे बीना मेहनत के ही शिकार मिल जाया करेंगा । मेंरे पास खुद भोजन चलकर आ जाया करेंगा और मैं मस्त गुफा में  आराम करुगा। 

शेरसिंह ने अपनी सहमती दे दी। अब हर दिन एक जानवर को शेरसिंह का शिकार बनना पड़ता था। शेरसिंह रोज अपने पास भोजन बनकर आए जानवरों को खा जाता था और अपनी गुफा में सारा दिन आराम करता।


             एक दिन शेरसिंह का भोजन बनने के लिए चंपू खरगोश🐰का नम्बर था। चंपू ने शिकार बनने से मना कर दिया। जंगल के जानवरों ने उसे जबरजस्ती शेरसिंह के पास भेजा।


 रास्ते भर खरगोश यही सोचता रहा कि कैसे शेरसिंह से छुटकारा मील सकता है? खरगोश ईधर-उधर घूमता रहा परंतु वह शेरसिंह के पास नहीं गया।🐰🐇


ईधर शेरसिंह भूख के मारे बेहाल हुआ जा रहा था। सुबह से दोपहर होने आई,अब तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया ।

थोड़ी दूरी पर शेरसिंह ने खरगोश को आते हुए देखा तो आग बबूल हो गया। शेरसिंह ने जोर से दहाड़ लगाई। दहाड़ इतनी तेज़ थी कि सारे जंगल में इसकी गुंज सुनाई दे रही थी।

चंपू खरगोश का तो ड़र के मारे बुरा हाल था। जैसे-जैसे खरगोश शेर की गुफा की तरफ जा रहा था, वैसे -वैसे उसका ड़र बढ रहा था। " परंतु चंपू जानता था कि ड़रने से काम नहीं चलेगा।"

ईधर शेरसिंह भूख से बेहाल हो रहा था और जब उसने भोजन के रूप में एक छोटे-से खरगोश को देखा तो वो गुस्से से आग बबूला हो गया। 

शेर, चंपू खरगोश पर गुर्राया और बोला -- मूर्ख तुम इतनी देर से क्यूं  आए ? 


चंपू खरगोश बोला -- महाराज,  मैं तो जल्दी ही निकला था परंतु रास्ते में एक कुआं पड़ा । उस कुएं में  से मुझें शेर की दहाड़ सुनाई दी।   ........ मैने सोचा कि  आप हीं होगें, मेने झांका तो उसमें आपकी ही तरह एक विशाल और खूखांर शेर दिखा। मेने कहा मैं आ गया महाराज, आप मुझे खा लीजिए।

कुएं के शेर ने कहा -- मैं कोई निकम्मा, कामचोर और आलसी शेर थोड़े ही हूँ जो इस तरह चलकर आए हुए जानवरों को अपना भोजन बना लूँ । मैं तो निड़र शक्तिशाली शेर हूँ जो अपना भोजन खुद शिकार करके खाता है।  मैं उस गुफ़ा में रहने वाला मूर्ख नहीं हूँ । गुफ़ा में जो बूढ़ा,  डरपोक शेर रहता है, तुम उसी के पास जाओ।

(चंपू खरगोश ने मनगढ़ंत बाते बढ़ा-चढा कर शेरसिंह को बताई।)

🙏महाराज, मेने तो उससे यह भी कहा कि आप कोई ड़रपोक थोड़े ही है। ....... आप तो बहुत शक्तिशाली और फुर्तीले है। परंतु उसने तो चुनोती ही दे ड़ाली और बोला कि मेरे सामने बुलाओ तुम्हारे शेरसिंह को अभी सच का पता चल जाएंगा कि कौन ज्यादा  बहादूर है।

कुएं वाले शेर की बात सुनकर मैं  तो दौड़ा-दौड़ा जंगल के दूसरे जानवरों को भी बुला लाया। सभी ने कुएं वाले शेर को समझाया परंतु वह तो आपकी बेइज्ज़ती पे बेइज्ज़ती किये जा रहा था। महाराज आख़िर जंगल के राजा की बेइज्जती हम कैसे सहन कर सकते है।😉

चंपू खरगोश की बात सुनकर शेरसिंह ने सोचा कि आखिर मुझसे भी शक्तिशाली शेर कौन हो सकता है?? 🤔 मुझें  देखना चाहिए।

मुझे तो बहुत तेज़ भूख भी लग रहीं है परंतु मैं यदि नहीं जाऊंगा तो जंगल में  मेरा रुतबा कम हो जाएंगा और जंगल के जानवरों में मेरा ड़र नहीं रहेंगा। और तो और यह  बेवकुफ चंपू खरगोश जंगल के सभी जानवरों को भी बुला लाया। चलो पहले चलकर देख लेता हूँ  फिर आराम से गुफा में आकर शिकार  खाऊंगा। 🦁


शेरसिंह सभी के साथ कुएं पर गया। दूसरे जानवर चंपू खरगोश के कहने पर पीछे ही खड़े  हो गये। जैसे ही शेरसिंह ने कुएं में  झांका उसे स्वयं की ही परछाई दिखाई दी।

स्वयं की ही परछाई को शेरसिंह  "कुएं वाला शेर " समझ बैठा। शेरसिंह ने उसे ड़राने के उद्देश्य से जोर की दहाड़ लगाई। इसी तरह शेरसिंह ने दो बार ओर दहाड़ा परंतु कुएं से कोई आवाज नहीं आई।


पीछे से चंपू खरगोश ने कहा - देखा महाराज आपकी तो दहाड़ सुनकर ही कुएं वाले शेर की बोलती बंद हो गई । और चंपू ने कुएं के शेर को ललकारते हुए कहा -- देखा हमारे महाराज को कितने बहादूर है !! एक बार में  तुम्हारी बोलती बंद कर दी। जब दूर की दहाड़ से तुम्हारा यह हाल है तो यदि महाराज तुम्हारे पास आ गये तो सोचो तुम्हारा क्या हाल होगा ????😉😉

जैसे-जैसे चंपू खरगोश शेरसिंह की झूठी तारिफ कर रहा था, वैसे-वैसे शेरसिंह फूला नहीं समां रहा था। आख़िरकार शेखी बगारने के चक्कर में शेरसिंह ने कुएं में  छलांग लगा दी और कुएं में तो शेरसिंह की मृत्यु निश्चित थी।

जैसे ही शेरसिंह ने कुएं में छलांग लगाई, वैसे ही चंपू ने झांक कर कुएं में देखा और कहा -- " तुम्हारा अभिमान ही तुम्हारी मौत का कारण बना।"

जंगल के जानवर खुशी में झूम रहें थे। सभी चंपू खरगोश की चतुरता की वाहवाही करते नहीं थक रहें थे।  


शेरसिंह के आतंक से मुक्ति पाने की खुशी में सभी चंपू खरगोश के नाम के जय-जयकारे लगा रहें थे तो चंपू  खरगोश  ने सभी जानवरों  को समझाया कि  --     "" परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यूं ना हो, सूझबुझ से उसका समाधान निकाला जा सकता है। यदि आप लोग स्वयं  शेरसिंह का शिकार बनने की बजाय, शेरसिंह से छुटकारा पाना का उपाय खोजते तो शायद आज हमारे बिच में  हमारे बहुत से मित्र जानवर भी उपस्थित होते।  ""


सभी ने चंपू खरगोश की बात पर सहमती जताई और हर परिस्थिति में सूझबुझ और निड़रता के साथ सामना करने की प्रतिज्ञा ली।



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