Top12+ short funny story // Hasya kahaniya with Moral in Hindi for kids
यहां हम अपने ब्लाग के माध्यम से कुछ ऐसी दिलचस्प हास्यमय कहानियाँ लाएं है, जो बच्चों से लेकर बड़ो तक सभी को पसंद आएंगी। साथ ही प्रत्येक कहानी को मोरल के साथ प्रस्तुत किया गया है, ताकि कहानियों से प्राप्त सीख को हम समझ सकें और बच्चों को कहानी सुनाते वक्त हम इन्हीं funny और hasya story के माध्यम से उन्हें हंसते-हंसाते नैतिकता के मूल्यों को आसानी से समझा सकें ।
Table of Contents
1. इलाहाबाद -- New short funny story/hasya kahani in Hindi with moral for kids.
2 . बेचारे हरी भाई -- New short funny story/hasya kahani with moral for kids in Hindi
3 . आखरी ईच्छा-- New short funny story/hasya kahani with moral in Hindi for kids.
4 . दयालु भगवान-- Short funny story/hasya kahani in Hindi with moral for kids.
5 . शरारती बंदर short funny story/hasya kahani for kids with moral.
6 . आम और पान -- New short funny story/hasya kahani with moral in Hindi for kids.
7 . कीमती चीज़ -- New short funny story/hasya kahani with moral for kids in Hindi
8 . शरारती बच्चें-- Short funny story with moral and picture.
9 . छुट्टे पैसे-- Short funny story/hasya kahani in Hindi with moral for kids.
10 . ऊंट की टेड़ी गर्दन -- New short funny story / hasya kahani in Hindi with moral and picture for kids
11 . धड़ाम-- short funny story//hasya kahani in Hindi with moral for kids.
12 . नेताजी का भाषण-- New short funny story/hasya kahani in Hindi with moral for kids.
इलाहाबाद -- short funny story // Hasya kahani in Hindi with moral for kids
बस का कंडेक्टर बड़ा नेक दिल आदमी था। विशेषकर बुजुर्गो के प्रति उसके मन में विशेष स्नेह था।
जब टिकट लेने की बारी आई तो वह बुजुर्ग महिला के सीट के पास गया परंतु बुजुर्ग महिला को देखकर उसके मन में ख्याल आया कि कितनी बुजुर्ग महिला है ये,अब इनसे क्या टिकट लेना। उसने बुजुर्ग महिला से टिकट भी नहीं लिया।
बस अभी थोडी ही दूर चली होगी कि कंडेक्टर की नजर बुजुर्ग महिला पर पडी। उसने देखा कि बुजुर्ग महिला बस की खिड़की से इधर-उधर नजर दौड़ा रही थी। कभी वो खिड़की को खोलने के लिए शीशा खसकाती और दाएं बाए देखती, तो कभी शीशा बंद कर लेती। ऐसा वो बार-बार कर रही थी।
कंडेक्टर को बुजुर्ग महिला बड़ी परेशान और हैरान सी नजर आ रही थी। अतः कंडेक्टर से रहा नही गया। वह बुजुर्ग महिला के समीप गया और पूछा क्या हुआ माँ जी, कोई दिक्कत हो तो बताएं ।
माँ जी ने कहा -- " वो क्या कहते है ना। अरे! ... मैं तो नाम भूल गई। .......... ................अरे ! हाँ।.........बेटा इलाहाबाद आ गया क्या "?
इतना सुनते ही कंडेक्टर बोला - अच्छा समझ गया। आप निश्चिंत रहे माँ जी जैसे ही इलाहबाद आएगा, मैं आपको बता दूंगा। आप परेशान ना होइए।
कंडेक्टर की बात सुनकर माँ जी को इत्मीनान हो गया था। वह कुछ देर शांत रही परंतु कुछ समय बाद ही माँ जी कंडेक्टर को बुला बुला कर बार बार पूछ रही थी कि इलाहाबाद आ गया क्या?
थोडी ही देर बाद माँ जी को निंदा आ गई । कंडेक्टर भी काम में व्यस्त हो गया। किसी भी सवारी को इलाहाबाद नही उतरना था। कंडेक्टर भी व्यस्त था।
अतः इलाहाबाद कब निकल गया, कंडेक्टर को याद ही नही रहा। बस इलाहाबाद से काफी आगे निकल चूकि थी। आगे जाकर कंडेक्टर को याद आया तो वह मन ही मन बडा पछताया।
कंडेक्टर ने जाकर ड्राइवर से विनती की कि माँ जी बूढ़ी औरत है। इतनी गर्मी कहाँ धक्के खाती रहेंगी, अतः बस को वापस घुमा लो। ताकि माँ जी को उनके स्टाप पर उतारा जा सकें।
कंडेक्टर के बार बार विनती करने के कारण, अन्य यात्रियों के रोष के बावजूद ड्राइवर ने बस वापस इलाहाबाद की ओर घुमा ली। थोड़ी देर बाद इलाहाबाद आ गया।
इलाहाबाद पहुंच कर कंडेक्टर ने माँ जी को उठाया। " माँ जी उठिए इलाहाबाद आ गया""
कंडेक्टर की बात सुनकर माँ जी ने कहा " अच्छा बेटा ! मेरी बेटी ने कहा था कि इलाहाबाद आ जाये तो दवा खा लेना। " शुक्रिया बेटा याद दिलाने के लिए।
कंडेक्टर मुंह लटकाये खड़ा था। और आस पास के लोग कंडेक्टर की मूर्खता पर ठ़हाके लगा रहे थे।😱😱🤣🤣
कंडेक्टर ने माँ जी से कहा, तो आपको इलाहाबाद नही उतरना था क्या??🤔
माँ जी बोली -- मैने कब कहा कि मुझे इलाहाबाद उतरना है। मै तो बनारस के देहात जा रही हूं। तुमने मेरी पूरी बात ही नही सुनी। मै तो बोल रही थी कि इलाहाबाद आ जाये तो बता देना, ताकि मैं दवा खा लूँ ।
🤔☹😇😮😄😄☹☹😇😮🤔
मोरल -- किसी के प्रति सहानुभूति और सहयोग की भावना रखना बहुत अच्छी बात है परंतु सहयोग करने के पहले यह जान लेना भी जरूरी है कि वास्तव में उसे किस प्रकार के सहयोग की आवश्यकता है,अन्यथा आपका प्रयास विफल हो सकता है। 🙏🙏
बेचारे हरी भाई
Shory Funny story / Hasya Kahani in Hindi with moral for kids
भावेश नाम का एक किसान बहुत ही भोला-भाला था।
एक दिन भावेश अपनी बैलगाड़ी में अनाज लादकर शहर ले जा रहा था।
रास्ते में अचानक एक बड़े से गड्ढे में बैलगाड़ी का पहिया फंस गया। और बैलगाड़ी पलट गई। भावेश बैलगाड़ी को सीधा करने की कोशिश करने लगा।
थोड़ी ही दूरी पर एक पेड़ की छाया में एक दूसरा किसान बैठा हुआ था। उसने भावेश को आवाज लगाई।
दूसरे किसान ने भावेश को कहा -- अरे ! भाई परेशान मत हो, मैं अभी भोजन कर रहा हूँ। भोजन करने के बाद मैं तुम्हारी फंसी हुई गाडी को निकालने में तुम्हारी मदद कर दूंगा ।
आओ तुम भी मेरे साथ कुछ खा लो।
भावेश -- नहीं, नहीं मै अभी नही आ सकता, वरना हरी भाई गुस्सा करेंगा।
दूसरा किसान -- अरे तुमसे अकेले नहीं निकलेगी यह गाड़ी । आओ पहले मेरे साथ खाना खा लो, फिर दोनो साथ मिलकर निकाल लेंगे ।
भावेश -- नहीं, नहीं, वरना हरी भाई नाराज हो जाएगा।
दूसरा किसान -- इतना हट मत करो। अब मान भी जाओ भाई।
भावेश -- ठीक है । अब आप इतना बोल रहे हो तो मैं आता हूं ।
फिर दोनो ने साथ में खाना खाया।
खाना खाने के बाद भावेश बोला - चलो चलते है, गाड़ी के पास वरना हरी भाई गुस्सा हो रहा होगा।😐🤨🤨
दूसरे किसान ने मुस्कुराते हुए कहा - तुम इतना डर रहे हो। यहां थोड़े ही है, तुम्हारे प्रीय हरी भाई।
भावेश--- नहीं, नहीं, वो तो यहाँ ही है।
दूसरा किसान --- यहाँ.....यहाँ, कहाँ ???
भावेश-- मेरी बैलगाड़ी के निचे ।😮☹
दूसरा किसान -- क्या?...😇😇😇😇
🙄🤔🙄😱🤬😱🙄🤔🙄
मोरल -- सहायता हमेशा स्पष्ट शब्दों में मांगना चाहिए। वरना परिणाम बुरा भी हो सकता है। 🙏🙏
आखरी ईच्छा
Short Funny story / Hasya Kahani with moral in Hindi for kids
एक राजा के दरबार में एक बहुत ही चतुर विदूषक था। वह विदूषक राजकीय कार्यो को बडी सूझबुझ के साथ करता था।
साथ ही वह अलग-अलग तरह के चुटकुले बना बना के राजा को सुनाता और राजा खूब ठ़हाके लगाते। यहां तक कि वह राजा के ऊपर भी कई तरह के किस्से बनाकर सुना देता था।
एक दिन राजा को विदूषक के हास्य किस्से से स्वयं का अपमान महसूस हुआ। राजा इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने सेनिको को कहा -- इस उदंड विदूषक को बंदी बनाकर कैदखाने में डाल दो।
कल इसे फांसी की सजा दी जाएगी। अगले दिन विदूषक को दरबार में लाया गया।
राजा ने कहा --" जल्द ही तुम्हें फांसी दे दी जाएगी, अगर तुम्हारी कोई आखरी इच्छा हो तो बोलो, हम उसे अवश्य पूरी करेंगे ।"
यह सुनकर उस चालाक विदूषक ने कहा -- " महाराज, मेरी अंतिम इच्छा है कि - मैं बुढ़ापे की मौत मरूँ ।"
विदूषक की अंतिम इच्छा सुनकर राजा को हंसी आ गई।☺😆 उन्होंने हंसते हुए विदूषक से कहा कि तुम जैसे चतुर को जिंदा रहने का हक है और राजा ने विदूषक की सजा माफ कर दी।
इस तरह चतुर विदूषक ने अपनी चतुराई से अपनी जान बचा ली ।
🤔🤔🤫🤫😄😄😄😄😄😄
मोरल--- किसी भी कठिनाई से ड़रे नहीं,बल्कि उस कठिनाई का हंस कर चतुराई से सामना करें ।
🍓दयालु भगवान🍓
Short funny story / Hasya Kahani with moral for kids in Hindi
एक राजा का फलो का बहुत बड़ा बगीचा था। इस बगीचे में भिन्न -भिन्न तरह के फलो के पेड़ थे, जिसमें खूब फल लगते थे।
बगीचे का माली प्रतिदिन पके हुए फलो को एकत्रित करता और राजा को भेंट करता था। राजा भी बड़े चांव से बगीचे के फलो का स्वाद चखते थे।
एक दिन माली ने कुछ चेरियाँ एकत्रित की और राजा के लिए ले गया । उस दिन राजा का मिज़ाज बहुत गरम था। राजा को बात बात पर गुस्सा आ रहा था। माली ने राजा को चेरी खाने के लिए दी।
जैसे ही राजा ने एक चेरी को चखाँ तो चेरी बहुत ही खट्टी निकल गई। चेरी का खट्टा स्वाद राजा को जरा ना भाया। राजा गुस्से से आग बबूला हो गया। उसका गुस्सा सातवें आसमान पर था।
राजा ने चेरी उठाई और माली के ऊपर दे मारी। माली को चोट लगी, लेकिन माली ने कहा -- ""भगवान बड़ा दयालु है।""
माली के शब्द सुनकर राजा आश्चर्यचकित होकर बोला -- मैंने तुम्हें चेरी फैंक कर मारी और तुम कह रहें हो भगवान बड़ा दयालु है, क्यों
माली ने कहा --🙏 महाराज, पहलें मैं आपके लिये तरबूज लाने वाला था परंतु किस्मत से मैने ईरादा बदल दिया और आज मैं आपके लिए तरबूज की जगह चेरी ले आया ।
माली -- मैं तो यहीं सोच रहा था कि यदि मैं चेरी की जगह तरबूज ही ले आता तो मेरा क्या हाल होता?? 🤕🤕🤕🤢😰😰
माली की बात सुनकर राजा मुस्करा दिए। राजा ने माली से माफी मांगी और सोना-चांदी देकर पुरुस्कृत किया।
🐒 शरारती बंदर 🐒
short funny story/hasya kahani with moral in hindi for kids.
एक जंगल में बहुत ही सारे जानवर रहते थे। इसी जंगल में एक बहुत ही शरारती बंदर भी रहता था। बंदर अपनी उंटपटांग हरकतों और अपने मजाकिया अंदाज से सबको हंसता रहता था।
बंदर की जंगल के राजा शेर से ज़रा नहीं पट़ती थी। शेर का स्वभाव कड़क था। सभी जंगल में शेर से भयभीत रहते थे।
एक बार शेर एक गड्ढे में गिर गया, इतिफाक से गड्ढे के पास के पेड़ पर वही शरारती बंदर बैठा था।
बंदर ने शेर का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया।
बंदर -- क्यूं रे ! बच्चू .....तु तो बड़ा शेर बना फिरता है,अब अक्ल आई ठिकाने पर।
यह बोलकर बंदर जोर जोर से हंसने लगा। अचानक से पेड की जिस डाल पर बंदर बैठा था, वह डाली टूट कर नाचे गिर गई।
डाल के टूटते ही बंदर भी निचे उसी गड्ढे में जा गिरा जिसमे शेर गिरा था।
शेर को सामने देखकर बंदर घबरा गया।
गिरते ही बंदर बोला -- माँ कसम। मै तो माफ़ी मांगने के लिए कूदा हूं।🐒🙏🤣
मोरल -- मज़ाक में भी शब्दों का चयन सोच-समझ कर ही करें । 🙏🙏
आम और पान
short funny story/Haasy kahani with moral for kids
एक दिन आम विक्रेता आम का थैला लेकर गली-गली घूम रहा था।
घूमते घूमते वह एक पान की दूकान के पास खड़ा होकर चिल्लाने लगा -- "आम ले लो आम। मीठ़े-मीठ़े आम "...........आम"
पास ही पान की दूकान के मालिक को आम खाने का बड़ा मन कर रहा था।
पान वाले ने आवाज लगाई -- " अरे औ आम वाले।"........
आम वाला --- हाँ भैया
पान वाला --- आज आम खाने का बड़ा ही मन कर रहा है। यदि तुम बुरा ना मानो तो क्या तुम पान के बदले आम दोगे। मुझसे एक पान ले लो और बदले में एक आम दे दो।
आम वाला -- ठीक है भाई । मुझे भी पान खाने का मन कर रहा है।
पान वाले ने पान का एक छोटा सा पत्ता लिया और आम वाले को छोटा सा पान बनाकर दे दिया।
आम वाले ने पान में थोड़ा सा चूना लगाने के लिए उससे कहा -- भाई थोडा सा चूना मेरे पान पर लगा दो।
पान वाला -- नही भाई ! जाओ और जाकर सफेद रंग की दीवार से पान को रगड़ लो, चूना अपने आप लग जाएंगा।
आम वाला समझ चुका था कि यह पान वाला मुझे बेवकूफ बना रहा है । अतः इसे सबक सिखाना होगा।
आम वाले ने थैले के आमों में से एक आम उठाकर पान वाले को दे दिया। किंतु पान वाले ने कहा नही,
"" मुझे ये हरा आम नहीं चाहिए, मुझे तो पीले रंग का पक्का आम दो।
पान वाले की बाते सुनकर आम विक्रेता हँसते हुए बोला -- जाओ और पीले रंग से पुती हुई दीवार से आम को रगड़ लो, आम अपने आप पीला हो जाएगा ।🍋🍋
आम वाले ने चालक पान वाले को निःशब्द कर दिया। इसी को कहते है जैसे को तैसा।
😂🤣😄😂😂🤣🤣😂😂😂😄
मोरल -- दूसरों के साथ की गयी बेमानी का परिणाम अच्छा नहीं होता है।🙏🙏
कीमती चीज़
funny story/hasya kahani in hindi with moral for kids
एक राजा था। जिसे बात बात पर गुस्सा आ जाता था। इसी वजह से राजा हमेशा रानी को भी डांटता रहता था।
रानी तो राजा की डांट की आदि हो चुकी थी और वह राजा के क्षणिक स्वभाव को अच्छे से जानती थी। इसलिए राजा की बातो को हंस कर टाल दिया करती थी।
एक दिन राजा अपनी रानी से किसी बात पर कुछ ज्यादा ही ख़फा हो गये। गुस्से में राजा ने रानी को महल से निकल जाने का आदेश तक दे डाला।
राजा -- मैं तुम्हें इसी क्षण महल से निकल जाने का आदेश देता हूँ, रानी। तुम चाहो तो तुम अपनी मनपसंद कोई भी कीमती चीज़ को साथ ले जा सकती हो।
अगले दिन जब राजा निंद से जागा तो उसने अपने आपको एक नई जगह पर पाया। राजा जोर जोर से चिल्लाने लगा।
राजा -- मैं कहाँ हूँ ?? यह सब क्या हो रहा है?? मुझे कुछ याद नही,मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ ।..🤔.......ह..म....क्या मैं सपना देख रहा हूँ ??🤔
राजा की बड़बड़ाने की आवाज सुनकर रानी कमरे में आई। और पूछने लगी,क्या हुआ ? आप क्यूं इतना चिल्ला रहें है।
राजा -- मैं कहाँ हूँ और यहाँ कैसे आ गया??
रानी -- अरे ! आप भूल गए, कल आपने ही तो मुझे महल से निकल जाने को कहा था। और साथ ही कहा था कि तुम अपनी सब से कीमती चीज़ लेकर जा सकती हो।
मेरे लिए तो आप ही सबसे से कीमती हो, इसलिए मैं आपको अपने माता-पिता के घर पर ले आई। 🤷♀️🤷♀️
रानी की बात सुनकर राजा मुस्करा दिया।और उसने रानी से माफी मांगी और कहने लगा -- चलो, अब मैं अपनी सबसे कीमती चीज़ यानी कि रानी साहिबा को पुनः अपने महल वापस ले जाऊंगा ।
मोरल -- परिवार के सदस्य ही हमारे लिए कीमती होते है अतः इनके प्रति हमेशा सम्मान और प्रेम भावना रखें । 🙏🙏
शरारती बच्चें
short funny story/hasya kahani in hindi with moral
चीकू और मीकू नामक दो भाई थे। दोनो भाई बहुत ही शरारती थे। वह हर रोज कोई ना कोई नई शरारत करते रहते थे। पूरे मोहल्ले में सभी दोनो से परेशान थे।
गाँव में होने वाली उंटपटांग हरकतों में अधिकतर इन दोनों भाईयों का ही हाथ होता था। और इसी वजह से इनकी शिकायतें हर रोज आया करती थी, जिससे इन भाईयों की माँ बहुत दुखी व परेशान रहती थी।
एक बार उनके गाँव में एक बहुत ही विद्वान पुरोहितजी आए।
लोगो का मानना था कि पुरोहितजी जिस भी व्यक्ति को आशीर्वाद दे दे तो उस व्यक्ति का कल्याण हो जाता है।
पड़ोस में रहने वाली उर्मी ने इन बच्चों की माँ को सलाह दी कि वह इन बच्चों को पुरोहितजी के पास ले जाए ताकि इन बच्चों की शरारत कम हो सकें।
माँ को पड़ोसन उर्मी की बात पसंद आई और वह पहले छोटे बच्चे को साथ लेकर पुरोहितजी के पास पहुंची।
पुरोहितजी ने माँ को बाहर ही इंतजार करने को कहा।
इसके बाद पुरोहितजी ने बच्चे से पूछा -- "बेटा !" क्या तुम भगवान को जानते हो? बताओ भगवान कहाँ है ??
बच्चे ने कोई जवाब नहीं दिया ।
पुरोहितजी ने फिर से पुनः पूछा-- बताओ बेटा, क्या तुम भगवान को जानते हो ?
इस बार भी बालक ने कोई जवाब नही दिया।
पुरोहितजी ने पुनः अपनी बात दोहराई। बालक ने अभी भी कुछ जवाब नहीं दिया ।इस बार पुरोहितजी क्रोधित हो गये। वह चिढ़ गए।
अब पुरोहितजी गुस्से में जोर से बोले-- ऐ बालक, क्या तुझे सुनाई नही देता है? मैं कब से तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ।........... बताओ भगवान कहाँ है?
अचानक से बालक उठ़ा और उसने तेजी से दौड़ लगा दी। दौड़ते दौड़ते बालक अपने घर जा पहुंचा। हांफते-हांफते वह पलंग के निचे छिपने लगा।
तभी बड़े भाई ने उसे छुपते हुए देख लिया। बड़ा भाई उसके पास आया और पूछा -- क्या हुआ तु छुप क्यूं रहा है ??
छोटा भाई-- भैया आप भी छुप जाओ।
बडा भाई-- हाँ, पर हुआ क्या ?🤔
छोटा भाई-- भैया अब की बार हम बड़ी मुसीबत में फंस गये हैं । 🤯भगवान कही गुम गए है और सभी को लग रहा है कि इसमें अपना हाथ है। इसलिए पुरोहितजी बार-बार पूछ रहें हे कि बताओ भगवान कहाँ हैं2 ?? ...............😭🙄🙄🙄🙄🤔
😂😂😂😂😂😂🤣😂
मोरल -- हद से ज्यादा शरारत करने पर कई बार बेवजह ही हम दोषी बन जाते है। अतः शरारत करें परंतु हद से ज्यादा नहीं। 🙏🙏
छुट्टे पैसे
short funny story//hasya kahani with moral in hindi
एक आदमी नकली नोट़ छापा करता था। गलती से उसने पंद्रह सो रूपये की नोट छाप दी।
अब वह सोच में पड़ गया कि पंद्रह सो की नोट तो आती ही नही। अब इन नोट का क्या किया जाये । उसे एक युक्ति सूझी।
उसने नोट के बंडल में हे एक नोट निकाली और यह देखने के लिए कि पन्द्रह सो की नोट कही चल सकेगी या नही, यह जांच करने निकल पड़ा ।
उसने विचार किया कि शहर में तो यह नकली नोट चलाना बहुत कठिन होगा। शहर में यह नोट चलाने गया तो लोग आसानी से मुझे पकड़ लेगें ।
अतः वह शहर से दूर एक छोटे से कस्बे में गया।
कस्बे में बहुत कम लोग ही दिखाई दे रहें थे। कुछ समय इधर-उधर नजरें दौड़ाने के बाद उसे एक कुम्हार दिखाई देता है, जो कि मिट्टी के बर्तन बनाने में मस्त था।
नकली नोट छापने वाला व्यक्ति उस कुम्हार के पास पहुंच गया और बोला -- क्या आपके पास छुट्टे पैसे मिल सकते है।
कुम्हार ने कहा हाँ, हाँ, मिल जाऐंगे ।
नकली नोट छापने वाले व्यक्ति ने मन ही मन सोचा-- अरे वाह ! 🤗यहाँ तो आसानी से मेरा काम हो गया ।😉 यह सोचते हुए उस व्यक्ति ने पन्द्रह सौ का नोट आगे बढ़ा दिया ।
कुम्हार ने अपने मिट्टी में सने हाथो को धोया और गमछे से पोछते हुए नोट की तरफ देखा। अब कुम्हार ने उस व्यक्ति से पन्द्रह सौ की नोट ले ली।
कुम्हार ने नोट देखते हुए एक नजर उस नोट देने वाले व्यक्ति पर भी डाली।
व्यक्ति को थोडी घबराहट सी हो रही थी। उसे लगा अब तो मैं पकड़ा गया ।
तभी कुम्हार बोला -- मेरे पास पन्द्रह सौ तो छुट्टे नही है। हाँ मैं चौदह सौ रूपये दे सकता हूं।
व्यक्ति ने कहा -- हाँ, हाँ चलेंगे ।
कुम्हार घर के अंदर गया और आकर उसने उस व्यक्ति को पैसे पकड़ा दिये। नकली नोट छापने वाले व्यक्ति ने कुम्हार द्वारा दिये हुए पैसो को देखा तो उसके होश उड़ गए।😇😇🙏 क्योकि कुम्हार ने उसे दो सात सात सौ के नोट जो पकड़ाए थे।........😳🤔😇😇
अब नकली नोट छापने वाला व्यक्ति कभी नोट को तो कभी कुम्हार को बार बार देखे जा रहा था। 😱😭😭😭
मोरल -- जो दूसरो से छल करके पैसा कमाने की कोशिश करते है, उन्हे स्वयं ही आगे नुकसान उठाना पड़ता है। 🙏
उंट की टेड़ी गर्दन-- short funny story // hasya kahani with moral in hindi for kids
एक राजा के महल में हर रोज राज्य की जनता की समस्याओं के निराकरण हेतु दरबार लगा करता था।
एक दिन दरबार में किसी विशेष समस्या की चर्चा चल रही थी। राजा के मंत्री ने समस्या का निराकरण बड़े अच्छे ढंग से किया था।
अतः राजा, मंत्री की सूझबुझ से बड़ा प्रसन्न हुआ। राजा ने खुश होकर मंत्री के लिए सोना-चांदी ईनाम में देने की घोषणा कर दी।
ईनाम की घोषणा करने के बाद राजा भूल गये। काफी समय गुजर जाने के बाद भी राजा को याद नहीं था कि उसे अपने मंत्री को कुछ ईनाम देना है।
मंत्री संकोचवश राजा से ईनाम नही मांग पा रहा था। किंतु मंत्री की पत्नी रोज मंत्री से कहती आज राजा को ईनाम की याद दिलाना और राजा से अपना ईनाम लेकर आना।
परंतु मंत्री यह सोचकर राजा से ईनाम की बात नही करता था कि ईनाम मांगने से राजा मुझे लालची समझ कर मुझ पर गुस्सा ना हो जाये। इसी लज्जा से वह राजा को ईनाम की याद नही दिला पा रहा था।
एक दिन राजा और मंत्री अपने गाँव की सैर पर निकले। रास्ते में एक जगह राजा ने विश्राम किया।
जिस स्थान पर राजा विश्राम कर रहें थे, वही अचानक ऊंटो का एक झुंड थोडी दूरी से गुजर रहा था।
राजा ने ऊंटो के झुंड को देखा और पास ही बैठे अपनी मंत्री से बोले। तुम हमारे राज्य के बहुत ही बुद्धिमान मंत्री हो अतः क्या तुम बता सकते हो कि " ऊँट की गर्दन टेड़ी क्यूं होती है ??"
मंत्री ने मन में सोचा अच्छा मौका है, इस प्रश्न का उत्तर देकर मैं राजा को ईनाम की भी याद दिला सकता हूं ।
अतः मंत्री ने राजा से कहा --" जी महाराज मुझे पता है कि ऊँट की टेड़ी गर्दन किस वजह से है।
राजा -- अच्छा ! तो फिर जल्दी बताओ मंत्री । हम जानने के लिए बहुत उत्सुक है।
मंत्री -- जी महाराज
( मंत्री ने बताना शुरू किया। राजा के साथ आए अन्य सिपाही और रक्षकगण भी दोनो की बाते ध्यानपूर्वक सुन रहें थे। सभी में इसका कारण जानने की उत्सुकता थी। )
मंत्री -- महाराज यह जो ऊँट है,उनके पूर्वज पहले कभी किसी राज्य के राजा हुआ करते थे। इनके दरबार में बुद्धिमान मंत्री भी था । मंत्री बुद्धि पूर्वक समस्या का समाधान निकाल लिया करता था। एक दिन ऊँटराजा अपने मंत्री से बहुत खुश हुए और उन्होंन मंत्री को ईनाम देने वादा किया व इस बात की घोषणा कर दी।
किन्तु ऊँटराजा अपना वादा भूल गए। और मंत्री को उसका ईनाम भी ना दे सके, कि अचानक ऊँटराजा की मृत्यु हो गई।
भगवान ने कहा -- अपने मंत्री से छल करने के कारण ही अब से तुम्हारी गर्दन टेड़ी ही रहेगी। ताकि दूसरे राजा भी इस टेड़ी गर्दन को देख कर सबक ले सकें और किसी भी मंत्री से ईनाम का वादा करके भूल ना सके।
बस इसी वजह से ही महाराज, तभी से ऊँट की गर्दन टेड़ी है।
मंत्री का उत्तर सुनकर राजा यकायक अपने स्थान से उठ गए और सिपाहीयों को बोले -- शीघ्र ही महल वापस चला जाये। हमें एक काम याद आ रहा है।
सिपाही ने कहा -- महाराज अभी तो हमारा भ्रमण भी पूरा नही हुआ है ।
राजा -- नही हम कुछ नहीं सुनना चाहते। तत्काल सभी यहाँ से रवानगी करें ।🤨
अतः सभी ने वापस महल की ओर रूख किया। सभी मन ही मन सोच रहें थे कि आखिर ऐसा कौन सा जरूरी काम होगा, जिससे राजा ने अपनी यात्रा भी पूरी नहीं की।🤔🤔🤔🤔🤔
महल पंहुच कर राजा अपने घोड़े से पूरी तरह उतरे भी नही थे कि राजा ने सभी से कहा -- दरबार में अभी की अभी सभी उपस्थित हो जावे।
राजा की बार-बार व्याकुलता से सभी घबरा रहे थे कि आखिर ऐसी क्या बात हो गई कि राजाजी को अभी ही दरबार लगाना पड़ रहा है।
सभी महल पंहुचे और बिना रुके जल्दी-जल्दी दरबार लगाने की तैयारी करने लगे।
महल में रानियों और अन्य सिपाहीयों के तो सारा मांजरा सीर के ऊपर से जा रहा था।😇😇😇😇
अंततः दरबार लग गया। राजा दौड़े-दौड़े गए और खजाने से सोना-चांदी ले आये।
सभी के सामने राजा ने अपने मंत्री को ईनाम दिया। और मुस्कुराते हुए मंत्री से कहा -- तो अब मेरी गर्दन तो टेड़ी नहीं होगी ना।👺 अब मुझे भगवान टेड़ी गर्दन वाला ऊँट नहीं बनाएँगे ना, क्योकिं तुम्हारे उत्तर ने मेरी यादाश्त जो वापस ला दी।😉😊😊😄😄
राजा की बात सुनकर मंत्रीजी ने भी मुस्करा कर सर हिला दिया। दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और दोनो जोर से ठ़हाके लगाने लगें। 🤣🤣🤣😃🤣🤣🤣
मोरल -- किसी भी कार्य को पूरा करने में विलम्ब ना करें। जहां तक संभव हो समय पर ही कार्य को पूर्ण करने की कोशिश करें
धड़ाम
Short funny story/hasya kahani in hindi with moral
राजू बहुत ही शरारती बच्चा था। हर रोज कोई ना कोई नई शरारत करना उसकी आदत में शामिल था।
एक दिन राजू कही जा रहा था। आम के पेड़ पर लदे पके हुए ढेर सारे आम को देखकर राजू के मुँह में पानी आ गया।
राजू -- अरे ! वाह, इतने सारे आम, वो भी पके हुए। इन्हें देखकर तो मुझसे रहा ही नही जा रहा है, पर इतने ऊँचे पेड़ पर से आम तोड़े कैसे जाए।
राजू -- क्यूं ना पेड पर ही चढ़ा जाएं और पेट भर के आम खाए जायें।
राजू ने दाएं,बाएं देखा । और कुछ ही
प्रयासो के बाद आखिरकार राजू उस ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया ।
पेड़ पर ही बैठकर राजू ने पेट भर के खूब आम खाए। जब बारी वापस निचे आने की आई तो राजू को निचे उतरने में बार -बार ड़र महसूस हो रहा था ।
पेड़ की ऊँचाई अधिक होने के कारण राजू के बार - बार प्रयत्न के बावजूद भी राजू निचे नहीं उतर पा रहा था । अंततः भय के कारण राजू जोर जोर से रोने लगा।
राजू की आवाज सुनकर आस-पास से गुजरने वाले कुछ लोग पेड़ के पास एकत्रित हो गए । और राजू से रोने का कारण पूछा।
राजू ने सारा वृतांत कह सुनाया। वहां एकत्रित लोगो ने राजू को पेड़ से निचे उतारना का बहुत प्रयास किया, किंतु सफल ना हो सकें।
उसी रास्ते से एक व्यक्ति निकल रहा था। वह भी आवाज सुनकर आम के पेड़ के पास आ गया। सारी बात समझने के बाद उसने कहा -- मैं इस इसे निचे उतार सकता हूँ । मैने तो ऐसे मुसीबत में फंसे लोगो की बहुत बार मदद की है।
व्यक्ति के आस-पास खड़े दूसरे लोग उसकी बातो को सुनकर उस व्यक्ति से बहुत प्रभावित हो रहें थे।
लोगों ने उस व्यक्ति से अनुरोध किया कि वह बालक राजू को जल्दी से निचे उतार देवे।
उस व्यक्ति ने एक बड़ी रस्सी मंगवाई और रस्सी का एक सिरा पेड़ पर बेठे बालक की ओर फैंकते हुए कहा बालक तुम इस रस्सी को पकड़ लो और बहुत अच्छी तरह से कसकर अपनी कमर में बाँध लो।
चूंकि राजू ज्यादा छोटा बच्चा नही था,अतः उसने ठीक वैसा ही किया जैसा उस व्यक्ति ने उससे करने को कहा था। राजू ने रस्सी का छोर अपनी कमर में अच्छे से बांध लिया था।
निचे खड़े व्यक्ति ने रस्सी का दूसरा छोर पकड़ रखा था। व्यक्ति ने राजू को ईशारा👍 किया और पूरी ताकत से रस्सी को अपनी ओर खींच लिया।
रस्सी के खींचे जाने से राजू धड़ाम से निचे आ गिरा। 🤯😨वह दोनो पैर फैलाकर वही बैठ़ गया। और आश्चर्य से रस्सी खींचने वाले व्यक्ति को देखने लगा।😡😬
गिरते ही राजू का सीर चक्कराने लगा 😇😇 राजू को कुछ मामूली चोट़ भी लगी।
आस पास एकत्रित लोग भी उस व्यक्ति को घूरने लगे।🙄 किसी ने कहा -- तुम बेवकूफ हो क्या??? ऐसे कौन मदद करता है। वो तो अच्छा हुआ कि बच्चे को ज्यादा चोट नही आई।
रस्सी खींचने वाले व्यक्ति ने कहा -- हाँ भाई गलती हो गई। एक बार मैने ऐसे ही किसी की जान बचाई थी भाई, तब एक व्यक्ति कुएं में फंस गया था। आज भी मैं उसी ही तरिके से मदद की कोशिश कर रहा था परंतु जल्दी जल्दी मे भूल गया कि वहां कुआं था और यहाँ पेड़ ।🤷♂️🤷♂️🤷♂️🤷♂️🤯🤯😇😇
उस व्यक्ति की बाते सुनकर कुछ देर वहां सन्नाटा छा गया🤔🤔😳😳और अचानक से कुछ लोग जोर जोर हंसने लगे 🤣 इनके साथ जमीन पर बैठा राजू भी व्यक्ति को बाते सुनकर ठ़हाके लगा रहा था।😂😂🤣🤣🤣🤣
मोरल -- किसी भी कार्य को सोच विचार कर ही करें । फिर वो कार्य पेड़ पर चढ़ने का हो या फिर किसी की सहायता करने का।
नेताजी का भाषण
एक बार एक नेताजी को सभा संबोधन हेतु बुलाया गया। नेताजी बहुत ही पहुंचे हुए थे।
नेताजी को अपने पद का बड़ा घमंड था। जनता के लिए वैसे कुछ विशेष कार्य नहीं कर पाएं थे, परन्तु भाषण बड़े अच्छे देते थे।
ज्यों ही नेताजी स्टेज पर पहुंचे, जोर-जोर से तालियां बजने लगी । लोग उत्साहित थे।
नेताजी ने भाषण का प्रारंभ आदरणीयक शब्दों से किया। अचानक एक मक्खी आकर नेताजी के ऊपर मंडराने लगी।
नेताजी मक्खी को उड़ा उड़ा कर परेशान हो गए। कुछ लोग उनके पीछे पड़ी मक्खी को देखकर हस रहे थे।
गुस्से में आकर नेताजी ने कहा --- क्या आप जानतें है, मैं आज किस विषय पर चर्चा करने वाला हूँ ????
उपस्थित लोगो ने कहा --- नहीं
नेताजी ने कहा -- जब आप लोगो को पता ही नहीं है कि मैं क्या बोलने वाला हूँ तो बताने से क्या मतलब।🤷♂️🤔🤔 यह कह कर नेताजी वहां से चले दिए।।
लोगो को लगा मक्खी के कारण नेताजी क्रोधित हो गए। दूसरे दिन फिर से नेताजी को मिन्नतें करके बुलाया गया।
नेताजी बोले -- क्या आपको पता है कि मैं आज किस विषय पर चर्चा करने वाला हूँ ।
(पिछले भाषण में इसी सवाल का जवाब सबने ""नहीं "" में दिया था तो नेताजी को बुरा लग गया था। अतः इस बार सबने एक स्वर में और ""हाँ "" में सहमती जाताई।)
जनता -- हाँ
नेताजी -- जब आप लोग जानतें है कि मैं किस विषय पर चर्चा करने वाला हूँ, तो मेरे बताने का अब क्या फायदा । 🤷♂️🤔🤔 और नेताजी मंच से निचे उतर गएं।
जनता को फिर लगा कि उनसे कोई गलती हो गई है,तभी तो नेताजी इस तरह मंच से उतर गए। अब फिर से जनता ने नेताजी से पुनः आने के लिए मिन्नतें की। नेताजी फिर मंच पर पधारें।
सब ने पहले ही निर्णय ले रखा था कि इस बार आधे लोग "हाँ" बोलेगें और आधे लोग "नहीं " ताकि पिछले दो बार की तरह नेताजी गुस्सा ना हो जाएं ।
नेताजी-- क्या आपको पता है कि आज मैं
किस विषय पर चर्चा करने वाला हूँ?
जनता - आधे "हाँ" , आधे "नहीं "
नेताजी -- जब आप में से आधी जनता को पता ही है कि मैं क्या चर्चा करने वाला हूँ तो यह आधे लोग शेष आधे लोगो को भी बता देवें । 🧐🧐😡😡 नेताजी पुनः मंच से निचे आ गए।
जनता -- 🤯🤯😱😱😬😬इसके बाद जनता ने फिर कभी भी ऐसे नेता को नही बुलाया ।😡😡😡🤣🤣🤣🤣
मोरल -- अपने लक्ष्य को ध्यान में रखें। दूसरो का समय व मेहनत को बर्बाद ना करें ।
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