भारत मे रक्षाबंधन
नोट- इस वर्ष 2021 मे रक्षाबंधन का त्यौहार 22 अगस्त 2021, रविवार के दिन मनाया जाएगा। राखी बांधने का मुहूर्त सुबह 9:28 मिनट से रात्रि 9:21 मिनट तक रहेगा।
"रक्षाबंधन "हमारे भारत देश के प्रमुख त्यौहारो मे से एक है। यह त्यौहार भाई-बहन के प्यार और स्नेह तथा कर्तव्य का प्रतीक है। इस त्यौहार विशेष के प्रति प्रायः सभी आयु वर्ग के महिलाओ और पुरुषो मे उत्साह बना रहता है। हिन्दू भारतीय परिवारो मे रक्षा बंधन के लिए विशेष तैयारी की जाती है। नये कपडे,दूर ब्याही बहन-बेटीयो को निमंत्रण,अविवाहित बेटीयो
की पसंद की राखीयाँ व मिठाईयाँ व मनपसंद पोशाक,उपहार,
घर की साज सज्जा सभी कार्य बडी खुशी पूर्वक किये जाते है। घरो से लेकर बाजारो तक की शोभा देखते ही बनती है। भारत मे यह बडी धूमधाम से मनाया जाने वाला त्यौहार है।
आज हम अपने ब्लॉग "टैक हिंदी किस्से,
कहानी,पकवान" के इस लेख के माध्यम से "रक्षाबंधन" से
संबंधित जानकारीयों को साझा करेंगे और इस त्यौहार से जुड़ी यादों को ताजा करेंगे ।
तालिका
रक्षाबंधन तारीख 2021 से 2030
रक्षाबंधन 2021 मुहूर्त
रक्षाबंधन का क्या अर्थ( मतलब ) होता है?
कैसे मनाते है रक्षाबंधन (रक्षाबंधन मनाने का तरीका)
रक्षाबंधन तारीख 2021 से 2030 तक
रक्षाबंधन सन् तारिख दिवस
2021 22 अगस्त रविवार
2022 11 अगस्त गुरूवार
2023 30 अगस्त बुधवार
2024 19 अगस्त सोमवार
2025 9 अगस्त शनिवार
2026 28 अगस्त शुक्रवार
2027 17 अगस्त मंगलवार
2028 5 अगस्त शनिवार
2029 23 अगस्त गुरूवार
2030 13 अगस्त मंगलवार
रक्षाबंधन 2021 मुहूर्त
जब भी बहने रक्षाबंधन के दिन भाई की कलाई पर राखी बांधती है तो इसके लिए एक विशेष मुहूर्त होता है जो कि पुजारीयो द्वारा पंचाग कैलेण्डर के अनुसार की गई गणना पर आधारित होता है। और रक्षा-सूत्र अर्थात राखी को विशेष शुभ मुहूर्त मे ही भाई की दाहिनी कलाई पर बांधा जाता है। 2021 मे रक्षाबंधन त्यौहार का तारिख व मुहूर्त निम्न है। अतः बहने इसी तारीख व मुहूर्त मे अपने भाई को राखी बांधे।
रक्षाबंधन तारीख - 22 अगस्त 2021, रविवार
रक्षाबंधन मुहूर्त 2021- सुबह 9:28 मिनट से
रात्रि 9:21 मिनट तक अर्थात
पूरे दिन मे 12 घण्टे राखी का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दिन भद्रा योग नही बन रहा है।अतःपूरा दिन शुभ है।
रक्षाबंधन का क्या अर्थ (मतलब) होता है?
रक्षाबंधन शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है- रक्षा और बंधन
अर्थात रक्षा के बंधन मे बंधना । इस पर्व🎉 का संबंध रक्षा से है। इसका तात्पर्य है कि जो भी आपकी रक्षा करता है उसके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए आप रक्षा-सूत्र बांध सकते है। देश की सीमा पर तैनात सिपाही भाईयो की कलाई से लेकर हमारे देश के पेड-पौधो पर रक्षा-सूत्र बांधे जाते है। एक तरफ बहने भाईयों को राखी बांधकर भाई की सदैव रक्षा की कामना करती है तो दूसरी ओर भाई अपनी कलाई पर रक्षा-सूत्र बंधवाकर बहन की सदैव रक्षा की प्रतिज्ञा करता है। इस तरह इस त्यौहार का वास्तविक अर्थ रक्षा की भावना से ही है ।
किंतु यह त्यौहार केवल रक्तसंबंधो से संबंधित भाई बहन तक ही सीमित नही है । मुँहबोले भाई बहनो, बहनों-बहनो, देश की सीमा पर तैनात सिपाही भाईयो और वे सभी लोग जो हमें सुरक्षा प्रदान करते है, को भी यह रक्षा-सूत्र बांधा जाता है। गुरू अपने शिष्य को,पत्नी पति की रक्षा हेतु,दोस्त अपने दोस्त को,बहने अपनी दूसरी बहन को रक्षा-सूत्र बांधती है। और आपसी रक्षा धर्म की प्रतिज्ञा ली जाती है। इस रक्षा-सूत्र के प्रभाव से प्राचीन राजा महराजा भी अछूते नही रहे है। अनेकानेक दैवीय कथाएं भी प्रचलित जिससे ज्ञात होता है कि दैवता गण भी इस रक्षा त्यौहार से अछूते नही है। इस रक्षा त्यौहार के कई धार्मिक,एतिहासिक और सामाजिक महत्व है।
कैसे मनाते है रक्षाबंधन का त्यौहार
रक्षाबंधन मनाने का तरीका
रक्षाबंधन हर वर्ष सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है ,जो कि सावन माह का अन्तिम दिन होता है। राखी का त्यौहार भारतीय परिवारो मे विशेष उत्साह और उमंगो का त्यौहार है। यह उत्साह भाई-बहनो के बिच देखते ही बनता है। इस त्यौहार पर विवाहित बहन को विशेष निमंत्रण भेजा जाता है और बहुत बार भाई खुद बहन के ससुराल जाकर अपनी बहन को राखी के लिए अपने साथ लेकर आते है। कुछ बहने पढाई या नौकरी की वजह से परिवार से दूर रह रही होती है,उन्हे भी राखी पर घर बुलाया जाता है और बहने भी पहले ही राखी पर अपने घर आने की तैयारी मे लग जाती है। साल भर बहने इस त्यौहार का इन्तजार करती है। परिवारो और बाजारो मे इसकी रौनक चारो तरफ बनी रहती है। इसी रौनक और चहल-पहल के बिच हंसी ठिठोली और भाई-बहन की मस्ती भरी शरारतो के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है।
रक्षाबंधन सावन महिने की पूर्णिमा के दिन विशेष शुभ मुहूर्त मे मनाया जाता है। हिन्दू पंचाग मे निकले मुहूर्त मे ही इस रक्षा- सूत्र अर्थात राखी को बहने अपने भाई की दाहिनी कलाई पर बांधती है। सुबह ही बहने इसके लिए तैयार हो जाती है। इस त्यौहार के लिए बहने नयी एथनीक पोशाक पहनती है। और मनपसंद आभूषणो से श्रंगार करती है।।भाई भी अपने एथनिक पोशाक विशेषकर कुर्ता पजामा पहनते है। भाईयो मे भी इस त्यौहार का खासा उत्साह बना रहता है। बहने विशेष पूजा थाल सजाती है।जिसमे मौली, कुमकुम,हल्दी,चन्दन, अक्षत,दीपक और रंगबिरंगी राखीयाँ तथा मिठाईयाँ सजी होती है।
सर्वप्रथम भगवान गणेशजी को और फीर अपने अपने इष्टदेव को राखी बांधी जाती है। इस दिन पूर्वजो की फोटो पर भी राखी बांधी जाती है और पूर्वजो से आशिर्वाद की प्रार्थना की जाती है। इसके बाद भाई को राखी बांधी जाती है। इसके लिए पूजास्थल के समीप या उपयुक्त स्थान पर भाई के लिए आसन बिछाया जाता है। भाई को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके आसन पर बैठया जाता है। और भाई के सीर पर कोई गमछा या रूमाल रखा जाता है। बहने भाई को कुमकुम चन्दन का तिलक लगाती है, इस पर अक्षत लगाये जाते है।और कुछ अक्षत के दाने भाई के ऊपर छिनके जाते है। तिलक के बाद बहने भाई के दाहिने हाथ की कलाई पर रक्षा-सूत्र अर्थात राखी बांधती है। और आरती उतार कर मिठाई खिलाकर मुहँ मीठा कराती है। और भाई को रूमाल और श्रीफल हाथ मे देती है यदि भाई छोटा हो तो बहन उसे कपडे भी देती है। इधर भाई राखी बंधवाने के बाद बहन को कोई उपहार🎁 देते है। और अपनी बहन के पैर छूकर आशिर्वाद लेते है। कहा जाता है कि जब भी रक्षा-सूत्र बांधा जाता है,उस समय निम्न मंत्र को पढ़ते हुए रक्षा-सूत्र बांधना चाहिए। यह मंत्र भगवान इंद्र के गुरू वृहस्पतिजी द्वारा भगवान इन्द्र के लिए तैयार किए गए रक्षा-सूत्र मे रक्षा और विजय प्राप्ति के लिए मंत्रित किया गया था। 👇👇
ऊँ येन बध्दो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।
रक्षाबंधन एक पारिवारिक त्यौहार है जिसमे परिवार के हर उम्र के सदस्यो मे खासा उत्साह रहता है। कही -कही परिवार के सभी भाई-बहन व अन्य सदस्य अपने पैतृक घर 🏡 पर एकत्र होकर बडी धूमधाम से रक्षाबंधन मनाते है। व साथ मिलकर भोजन करते है। इस त्यौहार पर विशेष और सबके मनपसंद का भोजन बनाया जाता है। और इस प्रकार यह त्यौहार पूरी आत्मीयता के साथ मनाया जाता है,जिसमे परिवार का प्रत्येक सदस्य खुशी और प्रसन्नता जाहिर करता है।
बहने अपने चचेरे भाई और मुँहबोले भाईयो को और पिता और चाचा को भी इसी तरह रक्षा-सूत्र बांधती है। और सबकी भलाई की प्रार्थना करती है।और भाई भी बहन को ताउम्र रक्षा का वचन देते है। इसके बाद सभी मिलकर भोजन करते है। इस दिन सबकी पसंद के विशेष पकवान बनाये जाते है। और इसी प्रकार हंसी खुशी और भाई बहन की लंबी उम्र और सदा एक दुसरे का साथ देने व रक्षा करने का वचन देते हुए यह त्यौहार सम्पन्न होता है।
हमारे भारत देश मे बहने सीमा पर तैनात हमारे सिपाही भाईयो और देश के नेताओ को रक्षा-सूत्र बांधती है और देश की रक्षा की कामना करती है। हमारा पर्यावरण हमे सुरक्षा प्रदान करता है और यह पर्यावरण हमारे हरे भरे पेड-पौधो से पवित्र और सुरक्षित रहता है ।अतः भारत मे पेड-पौधो को भी रक्षा-सूत्र बांधा जाता है। और इनके प्रति कृतज्ञता जाहिर की जाती हैऔर प्रण लिया जाता है कि जिस तरह यह हमारे पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करते है, उसी तरह हम भी पेड-पौधो को सुरक्षा प्रदान करे।
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1 टिप्पणियाँ
Nice
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