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रक्षाबंधन निबंध 5000 शब्दो में (कक्षा1ली से 12वी तक के लिए रक्षाबंधन निबंध)



कैसे लिखे रक्षाबंधन त्यौहार पर निबंध?



दोस्तो जैसा कि हम सभी जानते है कि निबंध भारतीय पाठ्यक्रम मे महत्वपूर्ण तरीके से हर कक्षा मे अपने छोटे-बडे
रूप मे विद्यमान रहता ही है। और इसमे कोई संदेह नही है कि एक अच्छे निबंध के द्वारा हम विषय की जानकारी के साथ-साथ परीक्षाओ मे अच्छे अंक भी प्राप्त कर सकते है। यदि निबंध बहुत सुंदर ढंग से लिखा जाए तो यह आपके लेखन कौशल मे चार चाँद लगा देता है। तो चलिए आज हम  अपने ब्लॉग "टैक हिंद किस्से, कहानी, पकवान" के माध्यम से रक्षाबंधन त्यौहार पर निबंध लेखन के बारे मे जानेगे।  👇👇





 निबंध तालिका


रक्षाबंधन निबंध----10 पंक्तियों (लाइन) में
रक्षाबंधन निबंध----5,000 शब्दो में 






रक्षाबंधन निबंध----10 पंक्तियों में




⚀1    रक्षाबंधन भारतीय त्यौहारो मे से प्रमुख त्यौहार है। जो कि भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक है।


⚀2    प्रत्येक वर्ष यह त्यौहार श्रावण महिने की पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है। 


⚀3    यह भारत के बहुत प्राचीन त्यौहारो मे से एक है। इस त्यौहार से कई धार्मिक व सामाजिक कहानियाँ जुडी है।


⚀4     भारत के साथ साथ यह त्यौहार अन्य देशो जैसे- नेपाल,मारिशस मे भी मनाया जाता है।   


⚀5    इस दिन बहने अपने भाई की दाहिनी कलाई पर रक्षा
सूत्र अर्थात राखी बांधती है और भाई की लंबी उम्र की कामना
करती है। भाई अपनी बहन के पैर छूकर आशिर्वाद लेते है। तथा अपनी बहन को उपहार🎁 देते है।


⚀6   बहन इस दिन विशेष पंचाग मुहूर्त पर ही अपने भाई को राखी बांधती है।


⚀7    इस दिन सभी घरो मे विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवान बनते है। 


⚀8     महीने भर पहले से ही प्रायः इस त्यौहार की रौनक बाजारो मे दिखाई देने लगती है। बाजार रंग-बिरंगी राखीयों से सजे रहते है।


9     कपडो से लेकर उपहारो तक तथा खाने पीने की वस्तु से लेकर मिठाईयों तक तरह-तरह की सभी चीजें बाजार मे उपलब्ध होती है।


⚀10   यह  त्यौहार भाई-बहन के आपसी प्रेम और सम्मान तथा रक्षा का प्रतीक है।







रक्षाबंधन निबंध--5,000 शब्दो मे


यहाँ हम एक विस्तृत निबंध उपलब्ध करा रहे है जिसे आप अपनी शब्द सीमा और उपयोगीता के आधार पर छोटा या बडा करके उपयोग कर सकते है।


निबंध बिन्दू


प्रस्तावना

रक्षाबंधन की तैयारियाँ

सरकारी प्रबंध

सरकारी अवकाश

रक्षाबंधन पारंपरिक विधी

जैन धर्म मे रक्षाबंधन

मुस्लिम समुदाय मे रक्षाबंधन

विधालय मे रक्षाबंधन

रक्षाबंधन से संबंधित धार्मिक व एतिहासिक कथाएं

रक्षाबंधन का बदलता स्वरूप 

उपसंहार





 प्रस्तावना--  भारत मे मनाये जाने वाले त्यौहारो मे रक्षाबंधन  सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार श्रावण महिने के आखिरी दिन अर्थात पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्यौहार पर बहने अपने भाई की दाहिनी कलाई पर रक्षा-सूत्र अर्थात राखी बांधती है।और बहने अपने भाई की लंबी उम्र और प्रगति की कामना करती है ।भाई भी बहन को उपहार देते है। यह एक पारिवारिक त्यौहार है जिसमे घर का प्रत्येक सदस्य खुशी और प्रसन्नता जाहिर करता है।




रक्षाबंधन की तैयारियाँ---- रक्षाबंधन के लिए विवाहित बहनो को विशेष निमंत्रण भेजा जाता है।और घर से बाहर पढने वाली अथवा नौकरी करने वाली बहनो को भी इस त्यौहार पर आने का निमंत्रण दिया जाता है। कभी कभी भाई खुद ही बहनो को लेने जाते है। इस त्यौहार की रौनक बाजारो और घरो मे महीने भर पहले से ही शुरू हो जाती है। इस दिन के लिए भाई -बहन नये परिधान खरीदते है। बहने अपने भाईयों के लिए मन पसंद रंग-बिरंगी राखीयाँ खरीदती है ।और भाई भी अपनी बहन के लिए विशेष उपहार 🎁 खरीदते है इस दिन की शुरुआत घरो मे चहल-पहल से होती है। इस दिन सुबह के कार्य से निवृत होकर बहने नये परिधान पहनती है और विशेष श्रृंगार करती है।भाईयो मे भी उत्साह देखते ही बनता है   





शासकीय अवकाश--भारत मे रक्षाबंधन त्यौहार पर संपूर्ण देश मे शासकीय अवकाश रहता है। सभी स्कूल-कालेज से लेकर सभी सरकारी कार्यालय मे इस दिन अवकाश रहता है।



सरकारी प्रबंध-----     इस त्यौहार विशेष के लिए भारतीय डाक📮 विभाग  कम लागत के लिफाफे जारी करता है। ताकि दूर रहने वाली बहने अपने भाईयों को राखी भेज सकें।  

भारतीय रेल विभाग भी इस त्यौहार की गरिमा को संजोए रखने के उद्देश्य से मुफ्त या कही कही बहुत ही न्यूनतम  किराये पर बहनो के आने जाने के लिए विशेष ट्रेने🚂 चलाता है।



रक्षाबंधन की पारंपरिक विधी---भारत मे रक्षाबंधन अलग-अलग स्थानो पर पंपरानुसार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है ।परंतु सभी का उद्देश्य रक्षा और आपसी प्रेम को सदा बनाए रखना है।इस दिन बहने पूजा की थाली सजाती है। जिसमे कुमकुम,मौली, अक्षत,दीपक,कलेवा अथवा खुबसूरत राखीयाँ और मिठाईयाँ रखी होती है।सर्वप्रथम भगवान गणेश को राखी बांधी जाती है और फिर अपने इष्टदेव और पितरो के फोटो पर राखी बंधी जाती है। इसके बाद भाई को राखी बांधी जाती है। इसके लिए पूजास्थल के समीप या उपयुक्त स्थान पर भाई के लिए आसन बिछाया जाता है। और भाई के सीर पर कोई गमछा या रूमाल रख कर भाई को बहने कुमकुम, चन्दन का टिका लगाकर उस पर अक्षत लगाती है। भाई की दाहिनी कलाई पर रक्षा-सूत्र अर्थात राखी बांधती है तथा भाई की आरती उतारती है और मिठाई खिलाती है तथा भाई की लंबी उम्र की कामना करती है।भाई बहन के पैर छूकर  आशिर्वाद लेते है और बहन को उपहार देते है।




जैन धर्म मे रक्षाबंधन--

हिन्दू धर्म के साथ ही यह त्यौहार जैन धर्म मे भी बहुत महत्वपूर्ण है। जैन धर्म के अनुसार इस दिन यानी श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन 700 जैन मुनियो के प्राणो की रक्षा हुई थी। इस दिन को याद रखने हेतु लोगो ने एक-दूसरे के हाथो में रक्षा-सूत्र बांधे और इसलिए जैन धर्म मे भी रक्षा-सूत्र का प्रचलन चलता आ रहा  है।और आज भी एक त्यौहार के रूप मे श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।





मुस्लिम धर्म मे रक्षाबंधन

रक्षाबंधन के इतिहास से पता चलता है कि मुस्लिम राजा महराजा भी रक्षा-सूत्र के महत्व को मानते थे। करणावती नामक रानी ने हुमायूँ को रक्षा-सूत्र भिजवाया,हुमायूँ ने भी बहन के राज्य की रक्षा की थी। इसी प्रकार सिकंदर की पत्नी  ने राजा पौरस को रक्षा-सूत्र बांधकर अपने पति के प्राणो की रक्षा की थी। आज भी हिन्दू बहनो के मुहँबोले भाई मुस्लिम समुदाय से है। और रक्षाबंधन पर रक्षा-सूत्र बंधवाते है। 


भारत के विद्यालयों मे रक्षाबंधन--- भारत मे त्यौहार का महत्व बच्चो को समझने के उद्देश्य से प्रत्येक त्यौहार को विधालयी स्तर पर मनाया जाता है। सभी विधालयो मे  रक्षाबंधन मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन तो संपूर्ण भारत मे शासकीय अवकाश रहता है इसलिए विधालयों मे प्रायः एक या दो दिन पहले ही यह उत्सव मनाया जाता है। जिसमे छात्राएं अपने सहपाठी छात्रो को राखी बांधती है बडी कक्षाओ मे इस मौके पर  राखी बनाने और निबंध लेखन से लेकर खेलकूद जैसी विभिन्न प्रतियोगिता होती है।




रक्षाबंधन से संबंधित धार्मिक व एतिहासिक कथाएं---

 रक्षाबंधन भारत के प्राचीन त्यौहार में शामिल है। इससे कई धार्मिक और एतिहासिक कथाएं जुडी है। 



कहा जाता है जब इन्द्र और असरो का युध्द 12 वर्षो तक लगातार चलता रहा और इन्द्रजी की इस युध्द मे लगातार पराजय हो रही थी तब इन्द्रजी की पत्नी इन्द्राणी ने गुरू बृहस्पति द्वारा अभीमंत्रीत रक्षा-सूत्र इंद्रजी की दाहिनी भुजा पर बांधा था, जिससे इन्द्रजी को युद्ध मे विजय प्राप्त हुई थी।

महाभारत के काल मे जब भगवान कृष्ण की उंगली से खून बह रहा था तब द्रोपदी ने अपनी साडी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांधा था और उंगली से बह रहे रक्त की धार को रोका था। और बदले मे कृष्ण ने द्रोपदी को बहन मानते हुए आजीवन रक्षा का वादा किया और चीरहरण के समय द्रोपदी की लाज बचाकर रक्षा की। इस तरह रक्षा-सूत्र की पंरपरा बढती चली गई।

इसी संदर्भ मे राजा बली और माँ लक्ष्मी की कथा भी प्रचलित है।जब भगवान विष्णु ने अपने तीन पग से नापकर समस्त ब्रह्मांड दान मे ले लिया तो इसके बाद राजा बली रसातल मे चले गए। भगवान की तपस्या करके राजा बली ने भगवान से सदा सामने रहने का वरदान प्राप्त किया और इस वजह से भगवान विष्णु राजा बली के यहाँ रहने लगे जिससे माँ लक्ष्मी दुखी रहने लगी और अंततः नारदजी के कहने पर माँ लक्ष्मी ने राजा बली को रक्षा-सूत्र बांधकर भाई बनाया तथा विष्णुजी को अपने साथ वापस लेकर आई थी।

रक्षाबंधन के संंदर्भ मे कहा जाता है कि मैवाड की रानी 
करणावती ने अपने राज्य की रक्षा हेतु हुमायूँ से रक्षा-सूत्र भेजकर रक्षा की मदद मांगी थी और हुमायूँ ने भी उनके राज्य की रक्षा की थी।

इसी प्रकार सिकंदर की पत्नी ने भी राजा पोरस को राखी भेजी तथा अपने पति के जीवन रक्षा का वचन लिया था।राजा पोरस ने भी अपने राखी के वचन को निभाया।

 



रक्षाबंधन का बदलता स्वरूप---- रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार और विश्वास का त्यौहार है।यह त्यौहार रक्तसंबंधो तक के रिश्तो तक ही सीमित नही है वरन् यह संबंधो का एक अटूट बंधन है। जिसका प्रमुख उद्देश्य " रक्षा " से ही संबंधित होता है।यह पारिवारिक संबंधो की शक्ति को दर्शाता है परंतु वर्तमान मे इसका स्वरूप बदलता जा रहा है।वर्तमान समय मे संयुक्त परिवारो से कटकर लोग अपने त्यौहार मनाना पसंद करते है।

रक्षा के दृष्टि से बांधे जाने वाले कलैवा की जगह भिन्न-भिन्न तरह की रंग बिरंगी और सोने-चांदी की राखीयों ने ले ली और दिखावे मे आकर लोग रक्षा-सूत्र के मूलरूप को भूल गए है। बनावट और दिखावे मे आकर लोग रक्षाबंधन की पारंपरिक विधी विधान को भूलते जा रहे है। आज कई ऐसे उदाहरण है जो यह दर्शाते है कि भाई ही बहनो के रक्षक की जगह उनके भक्षक बनते जा रहे है।और संबंधो को धूमिल करते जा रहे है।
वर्तमान मे रक्षाबंधन त्यौहार का स्वरूप कई मायनो मे बदलता
जा रहा है।




उपसंहार----  रक्षाबंधन का त्यौहार हर भाई बहन के लिए खास होता है। यह त्यौहार भाई-बहन के रिश्तो को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। प्रत्येक उम्र के लोगो मे इस त्यौहार के प्रति उत्साह बना रहता है।भारत ही नही बल्कि विदेशो मे भी कई स्थानो पर यह त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार हमारी भारतीय पंरपरा और एकता का त्यौहार है। रक्षाबंधन भाई-बहन के असीम और अटूट विश्वास का प्रतीक है। परंतु वर्तमान मे इसका स्वरूप बदलता नजर आ रहा है। 


रक्षाबंधन हमारी भारतीय संस्कृति के स्वरूप और सुंदरता की पहचान है।हम सबको द्वारा इसके वास्तविक स्वरूप को बनाए रखने की कोशिश करना चाहिए। दिखावे और बनावट से दूर पारंपरिक विधी विधान के अनुरूप ही इस त्यौहार को मनाने का प्रयास करना चाहिए। रक्षा के उद्देश्य से मनाया जाने वाले इस त्यौहार पर ना सिर्फ स्वयं की बहनो अपितु देश की समस्त बहनो की रक्षा का भाव होना चाहिए। साथ ही साथ परिवार, पर्यावरण और देश की रक्षा का वचन भी इस त्यौहार का उद्देश्य होना चाहिए।






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