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होली का इतिहास क्या है ? क्यूं इतना महत्व है होली का?

   




हम  होली  के  बारे  मे  हमेशा  ही  सुनते  आए  है  कि  होली
भारत के  महानतम  त्यौहारो मे  से  एक  है। और  यह  हमारे भारत के  सबसे  प्राचीन त्यौहारो  मे  से भी एक है। जब-जब भी हम होली के बारे मे यह सुनते है, तब-तब  हमारे मन मे भी
यह प्रश्न सहज ही ध्यान आ जाते है कि--- क्यूं इतनी महत्वी है होली ? आखिर क्या है होली का इतिहास ? आखिर क्यूं इतनी
प्रचलित है होली ?

                      आज हम  "" Teck  Hindi  Kissey, Kahani, Pakwan""   ब्लाग  के  इस  लेख  के  माध्यम   से  इन्हीं  सवालो  के  जवाब  जानेगे।  तो  चलिए जानते  है।                             
                               👇👇




 तालिका


1   होली को "होली" क्यूं  कहते  है? 

    कैसे नाम मिला होली को,"होली"?


2    क्या  है  होली  का इतिहास ?  

      आखिर कितनी  पुरानी है होली ?


3    क्यूं  इतनी  महत्वी  है  होली  ?  

     आखिर क्या  महत्व  है  होली का ?

     क्यों मनाते  है,  हम होली ?

     होली  मनाने  का  कारण क्या है ?


 4   क्यूं  जलाई  जाती है  होली ?

      क्यूं  खेलते  है  रंगो  से  होली ?






1  होली को  " होली" क्यूं  कहते है ?  

    आखिर  कैसे  मिला  होली नाम ?



    हम सबने  अंग्रेजी  के   "HOLLY"  शब्द    को  सुन         रखा  है  जिसका  अर्थ   होता  है  " पवित्रता" । चूंकि होली
त्यौहार का नाम अंग्रेजी के इसी शब्द से मिलता है इसी वजह
से कुछ लोग  होली को इससे  मिला हुआ मानते है। और होली
को अंग्रेजी शब्द   HOLLY   से जोड देते है। वास्तव मे देखा
जाए तो होली अपने आप मे ही एक बहुत ही पवित्र त्यौहार है
जिसमे  मनुष्य अपनी  बुराई को  जलाकर  पवित्र विचारो को
ग्रहण करने की कोशिश करता है। 
           
                 परंतु  वास्तव   मे  होली  शब्द   की  उत्पत्ति  
प्राचीन  शब्द   " होला"   से  हुई   है ।  प्राचीन  समय  मे
लोग    "अन्न " को  होला  कहते थे । उस समय विवाहित
स्त्रीयाँ  अपने  परिवार  की  सुख-समृद्धि  की कामना  के लिए
फाल्गुन  मास  की  पूर्णिमा  पर  पूर्ण चन्द्रमा की  पूजा  करती
थी। और  अपने  खेतो  मे  उगे  अधपके अन्न  को  जलती  हुई
अग्नि मे समर्पित करती थी । अतः इसी  समय  से  ही  जलती
हुई अग्नि की पूजा की जाती  थी।
                       
                           इसी दिन आर्य नवात्रैषटि यज्ञ भी
किया करते थे।और इस यज्ञ मे प्रायः अन्न का दान किया जाता
था । और  चुकी  इस  समय   अन्न  को "होला"कहा जाता था । और  होला  शब्द  बोलचाल  मे  होली  कहलाते लगा इसलिए  होली  को  " होली" कहा जाने लगा।  इस समय होली को  "होलाका " भी कहा जाता था।











2  क्या है होली का इतिहास?

    आखिर कितनी पुरानी है होली?

   
  



    
होली त्यौहार का  इतिहास बहुत पुराना है । यह त्यौहार अपनी
पारंपरिक, सामाजिक  व  सांस्कृतिक  मान्यताओ  के  कारण
प्राचीन  समय  से   ही  मनाया   जा  रहा  है।  पौराणिक  व धार्मिक  मतोनुसार होली की शुरूआत भगवान  विष्णु के "नरसिंह"  अवतार  के द्वारा  हिरण्यकश्यप  के  वध करने से मानी जाती है। और  विष्णुजी और भक्त प्रहलाद  तथा होलिका  की कहानी को  प्रायः होली  के  साक्ष्य  के रूप  मे  देखा जाता है।


            
 
इतिहासकार  के  अनुसार  होली  उत्सव आर्यो के  समय  से  मनाया जाता  है। इस  समय  आर्य  नवात्रैषटि यज्ञ करते  थे और यज्ञ की पवित्र अग्नि की पूजा करते थे।




भारतीय  ज्योतिष शास्त्रोनुसार  चेत्र-शुदी  प्रतिपदा  के दिन
नववर्ष का आरंभ माना जाता है । इस उत्सव के बाद से ही
चैत्र  माह  प्रारंभ  होता  है। और इसी समय चैत्र की नवरात्रि
भी आती है। अतः यह त्यौहार  "नवसंवत"  का आरंभ  तथा
बसंतागमन  का  प्रतीक है।



कई  तरह  की  धार्मिक  पुस्तको  मे  भी  होली  का वर्णन  मिलता  है।  जैसे--   "जैमिनि"   के  पूर्व   भी   "मीमांसा -सूत्र"  और   "कथा  ग्राहा - सूत्र"  मे  भी  इसका  वर्णन  है।



पुस्तको के  अलावा  कई  सारे  पुराणो  व  ग्रंथो मे भी होली  का  वर्णन  मिलता  है ।  जैसे--" नारद पुराण  और  भविष्य पुराण "  मे भी  होली  उत्सव  का वर्णन है। 





प्राचीन  भारत  मे  मंदिरो की दीवारो पर भी होली से संबंधित
मूर्तियाँ  बनी है।  होली  त्योहार  से  संबंधित प्राचीन हस्तलिपि और आकृतियाँ  इसका  साक्ष्य  है। कई मंदिरो मे  राधा-कृष्ण
व  अन्य  देवी -देवताओ  की  छवि  वाली  कलाकृतियाँ मौजूद
है।   ऐसा  ही  16 वी  सदी का  एक मंदिर  विजयनगर  की  राजधानी   "हंपी"  मे है। जिसमे राजकुमार-राजकुमारी  अपने दासो  सहित  एक दुसरे  पर रंग पिचकारीयों  द्वारा  लगा  रहे है। विंध्याचल के " दंडोल " नामक स्थान पर  एक ऐसी जगह है । जहाँ  ईसा से 300 वर्ष  पूर्व एक "अभीलेख"  मे हिन्दूओ
के इस  पवित्र  त्यौहार  होली का उल्लेख मिलता है।




" सिंधु घाटी सभ्यता " के  अवशेषो  मे भी  "होली" और
"दिवाली" मनाए जाने के प्रमाण मिले है। कई  मध्ययुगीन चित्र
 जैसे -16वी सदी के   "अहमदनगर -चित्र",  "मैवाड के चित्र"
"बूंदी के लघु चित्र"  सभी  मे  अलग-अलग  तरह से  होली मनाये जाने का प्रमाण विद्यमान है।




पुराणो , धार्मिक पुस्तको,  मंदिरो की कलाकृतिओ  के अलावा
भी इतिहास मे भी इसका वर्णन है। कई शासको के काल से ही  होली  एक  प्रचलित  त्यौहार है।  मुगलकाल  के  इतिहास
मे  भी  ऐसी  तस्वीरे  है  जो  यह प्रमाणित करते  है कि होली  त्यौहार सिर्फ  हिन्दूओ  द्वारा  ही नही मनाया जाता  था  वरन्  यह  मुस्लिम समुदाय मे भी उत्साहपूर्वक मनाया  जाता था।




"अकबर-जोधाबाई"  से लेकर  "जहाँगीर-नुरजहाँ" तक होली के  शौकीन  थे। ऐसा  वर्णन  मुगल इतिहास  मे  मिलता  है।
अलवर  संग्रहालय  मे तो चित्रो के रूप मे जहाँगीर  द्वारा होली
खेलने का प्रमाण विद्यमान है।



  
शाहजहाँ  के  जमाने  मे  होली को   '"ईद-ए-गुलाबी"  और
"आब-- ए --पाशी"  (रंगो की बौछार)  कहा जाता  था। तथा
"बहादुर शाह जफर"  जो  कि अंतिम  मुगल  बादशाह  थे, के समय भी उनके मंत्री बादशाह को रंग लगाया करते थे।



उपरोक्त दिए हुए प्रमाणो  से हमे भलीभांति   "होली त्यौहार"
के इतिहास के  बारे मे ज्ञात होता है कि वाकई  होली हमारे
सबसे  प्राचीन त्यौहारो  मे से एक  है। और यह हर समुदाय के
लोगो द्वारा मनाया जाने वाला हषोउललास का त्योहार है।जो
कि  जितना  हिन्दू  समुदाय  मे प्रचलित  है  उतना ही  मुस्लिम समुदाय मे भी प्रचलित है।






  

 3    क्यूं इतनी महत्वी है होली ?

      आखिर क्या महत्व है, होली का ?

      क्यूं  मनाते  है  हम, होली ?

      होली मनाने का कारण क्या है ?








जब जब भी हम होली की बात करते है,कुछ सवाल हम सबके मन मे होते है । और हम अपने घर मे बडे-बुजुर्ग से इन सवालो
को करते है तो उनका जवाब हमेशा से ही होली को बुराई पर
अच्छाई  की  जीत  के  महत्व  के रूप मे  ही होता है। जो कि 
शत -प्रतिशत सही है। आइए  हम  यहाँ  होली  के महत्व और इसे मनाये जाने के पीछे के कारण जानते है। 
              

                           वास्तव मे  होली  किसी एक ही कारण
विशेष से ही इतनी महत्वी नही है वरन् इसके मनाये जाने के
बहुत से विशेष कारण है  जो इस दिन की  महत्ता बताते है।
होली के दिन कौन कौन सी  धार्मिक,पुराणिक तथा सामाजिक घटना घटित हुई है । आइए  जानते  है 👇





⚀ इस दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म  करने के बाद  पुनर्जीवित   किया  था।   सृष्टी  के  सृजन  हेतु  और  पूर्णतः यथावत  क्रियान्वयन हेतु काम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिए  इस  त्यौहार  को  "सृष्टि सृजन" से  जोडकर  देखा जाता  है जो होली के महत्व को दर्शाता है।
                    
                        भारत के राज्य तमिलनाडू और कर्नाटक मे
प्रायः   होली   त्यौहार  भगवान  कामदेव  के  बलिदान  और पुनर्जीवित होने की याद मे ही मनाया जाता है।





⚀   हिन्दू पंचाग  के  अनुसार  होली  के  दिन से ही  "संवत"
की  शुरूआत हुई थी। इस दिन से  नववर्ष  का आरंभ  माना
जाता है।



⚀   शायद  आपको  पता नही हो  परंतु  होली  के दिन ही 
प्रथम  पुरूष   "मनु" की  उत्पत्ति  हुई थी। और  इसी  कारण होली को   "मंवादितिथि"   भी कहते है।



⚀  प्राचीन  समय  मे  इसी  विशेष  दिन  जो  कि  होली  का  दिन ही होता था, आर्य  "नवात्रैषटि"  यज्ञ  किया  करते  थे।


⚀  कहते  है  कि  इसी  दिन  बाल -कृष्ण  ने  राक्षसी  पूतना
का  वध  किया  था। तथा पूतना के संहार की खुशी मे लोगो
ने होली मनाना शुरू किया था ।




⚀ इसी दिन  त्रैतायुग के आरंभ  में  भगवान  विष्णु ने
 "धुली वंदन"  किया था।




⚀  इसी दिन सतयुग मे  राजा पृथु के राज्य मे  अत्याचारी राक्षसी ढुंढी को  गाँव के  बच्चो  द्वारा जिंदा जलाकर भस्म किया  गया था ।और सभी को उसके आतंक से मुक्ति मिली  थी।



⚀होली के दिन ही हिरण्यकश्यप की बहन  होलिका अग्नि
मे भस्म हो गई थी । और भक्त प्रहलाद का इसी अग्नि से भगवान विष्णु की कृपा से  सकुशल  बच जाना इस दिन की महत्ता को बढाता है।   




⚀  होली  मनाये जाने का  सबसे  मुख्य  और सबसे ज्यादा
प्रसिद्ध  कारण  होलिका  दहन के बाद  भगवान विष्णु  द्वारा 
"नरसिंह"  अवतार  लेना  तथा  हिरण्यकश्यप  नामक असुर 
का  संहार करना  था।



⚀  इसी  दिन  भगवान  भगवान  विष्णु  ने  अपने  भक्त
प्रहलाद को अपने  "दिव्य महाकाय रूप " मे  दर्शन दिए थे।








क्यूं जलाई जाती है होली ?







⚁होली  के  दिन  बहुत सी  विशेष घटनाएं  घटित हुई थी ।  (जिसका विवरण उपरोक्त दिया गया है।) इन विशेष  घटनाओ
की  याद मे ही प्रायः  होली जलाई जाती है।  इस  दिन  को हमेशा से ही बुराई की पराजय और अच्छाई की जीत के रूप
मे देखा जाता है।




⚁ अग्नि को  पवित्र  माना  जाता है और यही कारण  है  कि
हिन्दू धर्म मे पूजा-पाठ और यज्ञ के समय किसी ना किसी रूप
मे  अग्नि  जरूर  प्रज्वलित  की  जाती  है।  होली  पर  अग्नि प्रज्वलित  कर  परिक्रमा  लगाने  का उद्देश्य मन की पवित्रता से है। इस पवित्रता को हम होली दहन से जोडकर देखते है।
और इसलिए होली जलाई जाती है।






⚁ इस दिन को प्रकृति का आभार  जताने के उद्देश्य से  व
अग्नि  के  माध्यम से  वातावरण  की  शुध्दता का  संदेश  देने  के लिए  होली  जलाई  जाती है। 
 




⚁ भगवान सर्वत्र व्याप्त है जो हमारे अंदर की अच्छाई की वजह से सदैव हमारी रक्षा करते और बुराई का संहार हर हाल
मे होता ही है। इसी संदेश की याद मे ही होली जलाई जाती है।






⚁ हमारे अंदर की बुराई को होली की अग्नि मे जलाकर कर स्वंय के अंदर  अच्छाई  व  प्रेम  की भावना  को उजागर करने
के उद्देश्य  से  ही  पवित्र अग्नि जलाकर  अग्नि  की पूजा  की 
जाती  है। और परिक्रमा लगाई  जाती  है।








क्यो खेेेेलते है रंंगो से होली ? 

  




 ⚀रंगो से होली खेलने का उद्देश्य अपनी खुशी जाहिर करना
ही है।  होली के दिन घटित विशेष घटनाओ के कारण लोग
अपनी खुशी जाहिर करते हुए एक-दूसरे पर गुलाल, अबीर व
रंग लगाते  है। 




⚀ ईश्वरीय  शक्ति  को स्वीकार कर अपने अंदर नई  उर्जा के
प्रादुर्भाव की खुशी मे रंगो से होली खेली जाती है। 





⚀प्राकृतिक रंगो  से होली मनाकर प्रकृति के  प्रति आभार
व महत्व जताना ही रंगो की होली का उद्देश्य है।





⚀एक-दूसरे के प्रति द्वेष, क्रोध,आपसी रंजिश की भावना को त्याग  कर  मित्रता  की भावना  से गले  लगाकर ,एक-दूसरे पर रंग लगाने  से तथा साथ नाचने  गाने  से आपसी सहयोग की भावना बनाए रखना ही रंगो की होली का उद्देश्य है।




⚀ आपसी दुश्मनी और  मतभेद भूलकर साथ नाचना-गाना 
व साथ खुशी मनाना ही होली खेलने का उद्देश्य है।





⚀ यह त्यौहार  हर जाति धर्म के  लोगो को  एकता मे बांधे रखने  के  लिए  रंगो  द्वारा भावनाओ  को व्यक्त करने का एक
माध्यम है। 





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उपरोक्त  लेख  के  माध्यम से  हमने  होली  से जुड़ी  हर तार्किकता पर  प्रकाश  डालने  की  कोशिश  की  है।  होली
हमारे देश के सबसे प्राचीन त्योहारो मे से एक है। इस  त्योहार
की महत्ता  और  इस त्योहार  को  मनाये जाने के  पीछे छुपे
हुए उद्देश्यो  को  जानना  हमारे  लिए अनिवार्य है। और इस  लेख  मे हमने इन्ही बातो  को उजागर  करने  की कोशिश की
है।  हम उम्मीद करते है कि यह लेख को जरूर पसंद आएगा। 







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