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नकली सुंदरता

     

                      नकली सुंदरता

जंगल में एक पुराने बड़े से पेड़ पर बहुत से  कौवे रहते थे। इनमें कावरा नामक कौवा भी रहता था । एक बार कावरा कौवा अपने समूह के साथ जंगल की सैर पर निकला। जंगल में  एक स्थान पर मोरों का विशाल समूह रहता था।  ....... जब कौवा का समूह इस स्थान पर पहुँचा तो मोरों का झुंड पंख फैलाकर नाच रहा था।  कावरा कौवा मोरों की सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। अब तो कावरा कौवा रोज इस स्थान पर आकर मोरों का नृत्य देखता और बहुत आनंदित होता। 

धीरे-धीरे कावरा मन में  सोचने लगा कि मैं कितना बदसूरत हूँ और इन मोरों को देखों कितने सुंदर है। मोरों के रंगीन सुंदर-सुंदर पंख कितने सुंदर है। काश मैं भी मोरों की तरह सुंदर बन पाता। ..........     

अब तो कावरा कौवा अपने समूह में भी इसी तरह की बाते करने लगा कि हम सब कितने कुरूप है। मोरों को देखो कितने सुंदर होते है। हमें ईश्वर ने इतना सुंदर क्यूं नही बनाया ??.. दूसरें कौवे, कावरे को समझाते कि -- तुम बेवजह ईश्वर से शिकायत करते हो। ईश्वर ने हम सब में कुछ ना कुछ ख़ूबी दी है। .....  कावरे कौवे पर किसी की भी समझाईश काम नहीं आती। उस पर तो सुंदर बनने का भूत सवार हो चूका था। और एक दिन हुआ भी यही, कावरा चुपके से मोरों के पंखों को एकत्रित कर लाया। नृत्य के दौरान मोरों के बहुत से पंख गीर जाते थे। यहाँ से पंखो को एकत्रित कर कावरे कौवे ने अपने शरीर पर चिपका लिये और मोरों की तरह ही स्वयं को तैयार कर लिया। अब कावरा कौवा मोरों के झुंड में जाकर नाचने लगा। कावरा कौवा अब रोज़ इसी तरह करने लगा। कौवे का समूह कावरे की इस हरकत से दुखी था। सब कावरे कौवे को समझा चुके थे, परंतु उस पर तो नकली सुंदरता का भूत सवार था। उसने किसी की भी ना सुनी । 

एक दिन  कावरा कौवा मोर बनकर मोरों के झुंड में नृत्य कर था कि तभी उसके नकली पंख गीर गए और मोरों ने उसे देख लिया। मोरों के झुंड ने कौवे को देखकर नाराज़गी जताई और अपनी चोंच से कौवे पर वार कर दिया । कौवा लहू-लुहान हो गया । मोरों का बड़ा झुंड अकेले कौवे पर बहुत भारी पड़ गया था और अंततः कौवे को अपने प्राणों का बलिदान देना ही पड़ा । .........😪😪  

कौवे के समूह को जब यह बात पता चली तो कौवे के सरदार ने कहा -- अपने समूह बिरादरी को छोड़ने वाले को कोई नया समूह भी नहीं अपनाता है।  कावरे कौवे का भी यहीं हाल हुआ। ना उसे दूसरे समूह ने अपनाया और ना वह अपने समूह का रहा। 

नैतिक शिक्षा --

अपने वास्तविक स्वरूप से घृणा कभी भी नहीं करें । दूसरों के स्वरूप को देखकर उसे अपनाना और अपने समूह को छोड़ना सही नहीं । नकली सुंदरता को अपनाने से बेहतर है, अच्छे नये गुणो को अपना कर इन गुणों को जिंदगी का हिस्सा बनाएं ।


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