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भारत मे होली त्योहार

                                     


   होली  नाम सुनते ही हमारी  आँखो मे हरे ,पीले, नीले, लाल और ना जाने कितने रंगो का सैलाब  इर्द - गिर्द घूमने  लगता है। या  यूं  कह  ले  कि  होली  रंगो  का ही पर्याय है और ये सब रंग ही होली  को रंगीन बनाते है। 



फाल्गुन    मास   शुक्ल   पक्ष  की  पूर्णिमा   को   मनाया    जाने  वाला   यह  त्योहार   मार्च   महिने   मे आता है ।   भारत   का   कोई   भी   शहर  हो, गाँव  हो या  कस्बा  हो  सभी  जगह   इस  त्योहार   के   प्रति उत्साह   बना  रहता  है । 



हर्षोल्लास   व  उल्लास   से  भरा   यह   त्योहार   वास्तव  मे  हिन्दू  मात्र   का  ही   त्योहार  नही  है   वरन्   सभी   जाती   और  धर्म   मे   इस   त्योहार  के  प्रति    विशेष    लगाव     देखने    को   मिलता   है ।  

                 

      होली   आने   के   पहले   से  ही   घर  और  बाहर दोनो    जगह    प्रायः    इसकी    तैयारियाँ     शुरू   हो  जाती  है।     बाजार  भी    चटक    रंगो   और   तरह - तरह  की    पिचकारीयो   से   सजे   हुए   होते   है।  भारत  मे   मनाये   जाने    वाले   त्योहारो    मे    होली    बडा   त्योहार   है ।


इस    त्योहार    को    मनाये    जाने    के   पिछे   बहुत    सी    पुराणिक     कहानियाँ     प्रचलित   है    जिसमे होलिका     दहन   के   संदर्भ    मे  "भक्त प्रहलाद"   की कथा   व   रंगपंचमी   मनाये   जाने  के   पीछे         "🌸 राधा-कृष्ण  की फूलो की होली 🌸 "   की       कथा   प्रचलित   है ।    होली   का   नाम   सुनते   ही  मैरे     जहन    मे   होली   पर   स्वरचित   कविता   की कुछ  पंक्तया  सहज  ही  अपने   पंख  पसार  लेती  है ।                   


                                  

होली पर कविता 



ऐ री होली ।

तुम हो कितनी चुलबुली? 

जब भी तुम आती हो 

लाल , हरे, पीले, नीले,   

जाने  कितने रंग लाती हो।

जब भी तुम आती हो  

पकवानो  की  खुशबु  और

ठंडाई की मिठास  लाती हो।।


ऐ री होली। 

तुम हो कितनी चुलबुली ?

जब भी तुम आती हो 

रंगो से रंगे चेहरे और

अपनो की यादे साथ लाती हो।

जब भी तुम आती हो 

बाजारो की रौनक और

चेहरे पर मुस्कान लाती हो।। 


ऐ री होली। 

तुम हो कितनी चुलबुली? 

जब भी तुम आती हो

साथ अपने नई पिचकारी और  

बच्चो की कीलकारी लाती ।।


ऐ री होली।  

जब भी तुम आती हो

तह करके पोटली मे बंधे पुराने 

कपड़े, इनका भी रूतबा बढ़ा जाती हो ।

जब भी तुम आती हो 

बहुत सी मस्ती लाती और  

रिश्तो की अहमियत बतलाती हो।।


ऐ री होली ।

वाकई तुम हो कितनी चुलबुली ।









 होली  उमंगो का  त्योहार है । सदा ही यह त्योहार  हिन्दी  पाठ्यक्रम  का भी हिस्सा  रहा  है । शुरुआती  कक्षाओ  से  ही  होली    आधारित   निबंध  सामान्यतः   हमारे    भारतीय    पाठ्यक्रम    का   हिस्सा  रहे   है।   जब   परीक्षाओ   मे   त्योहारो  पर निबंध   लिखने   के   लिए   आते   थे   तो   हममे   से ज्यादातर   होली   पर    ही   निबंध   लिखा   करते  थे।  और   आज   भी   त्योहार - आधारित  निबंध  पाठयक्रम  का  हिस्सा  है  और  आज  भी   बच्चे   होली    पर   लिखना  पसंद करते है ।





होली पर निबंध 



  1. होली  हर  वर्ष   फाल्गुन   मास  की   शुक्ल      पक्ष  की   पूर्णिमा   को  मनाये  जाने  वाला  हषोउललास    व  उमंगो   का  त्योहार  है । यह  हर   साल   मार्च  महिने   मे   ही   आती   है । 
 

2   होली    त्योहार     हमेशा    से   सभी  धर्मो  मे    समान    रूप   से   ही    प्रचलित    त्योहार   है विशेषकर   बच्चो  मे   इस  त्योहार  के  प्रति  विशेष   लगाव  और  उत्साह   बना    हमेशा        रहता   है।



3   होली      त्योहार     सालो   पुराना   पंरपरागत   त्योहार   है । इस   त्योहार  के  कई  धार्मिक  और  वैदिक   महत्व   भी   है   साथ  ही साथ  इससे  कई  वैज्ञानिक  तर्क   भी  जुड़े   हुए  है  ।



4    होली   पर   सभी   घरो   मे    विभिन्न    प्रकार   के   पकवान   बनाये   जाते  है ।  ढोलक   और  मंजीरे   बजाए    जाते   और    फाग   गीत    गाए   जाते  है ।


 

5     होली    पर    सभी   को    फूलो   से    बने  रंगो  का    ही    प्रयोग    करना    चाहिए।   गहरे  और    पक्के     रंगो    की   जगह     अबीर   और     गुलाल      का        प्रयोग      करना       ही      चाहिए ।  


 

     6      होली  पर  होलिका- दहन ,  धूलेंडी ,  रंगपंचमी विशेष  रूप  से  मनाये  जाने  वाले  त्योहार  है ।पुर्व   से  ही  इसकी   तैयारियाँ   शुरू  हो  जाती है। 



7    होली  आपसी  प्रेम , सहिष्णुता,  भाईचारे  का संदेश   लेकर   आती    है।   इस  दिन   सभी  लोग   अपने     गिले -शिकवै    भूलकर    एक-दूसरे   पर   गुलाल   लगाते   व   गले    मिलते    है।



8  होली    त्योहार     हमेशा    से     ही    अच्छाई  का      प्रतीक     रहा     है।     यह     त्योहार  बुराई    पर     अच्छाई     की    जीत    का  संदेश    देता   है ।  



9   होली        के   दिन   संपूर्ण   भारत    मे   शासकीय अवकाश   रहता   है।    बाजारो   और   दुकानो पर   होली  की रौनक    देखते   ही   बनती   है । 



10   भारत    के    अलग -अलग    स्थानो    पर   यह त्योहार    अलग-अलग    तरीके    से    मनाया  जाता  है ।








होली मनाये जाने के धार्मिक व वैज्ञानिक तर्क 


⚀ 1  होलिका अष्ट क्या है? और इसका वैज्ञानिक तर्क क्या है? 




⚁ 2  होलिका -दहन क्या है और इसका वैज्ञानिक तर्क क्या है?




⚂ 3  रंगो से होली क्यूं खेली जाती है?            इसका वैज्ञानिक तर्क क्या है?  



4  फाग  गीत  गाए  जाने  और ढोल-मंजीरा  बजाये  जाने  का  धार्मिक

व  वैज्ञानिक  तर्क  क्या है?  










हमारे   देश   मे   हर   त्योहार   को   मनाये   जाने   के  पीछे   बहुत    ही   सटीक   और   दिलचस्प   कारण  होते   है।   जिसके   बारे   मे   जानकारी   बहुत   कम  लोगो   को  ही   है  परंतु   प्रत्येक  को  इन  त्योहारो के  
महत्व   को   समझना   आवश्यक  है ।

                            आज   इस   लेख   के   माध्यम  से   हम   होली   मनाये   जाने   के   इन्ही   कारणो   को   और   इस  त्योहार   के  धार्मिक   एवं   वैज्ञानिक महत्व   को  समझेगे।



⚀ 1      होलिका    अष्ट    क्या   है? ----- 

प्रायः   होलिका -  दहन   के   ठीक   आठ   दिन   पहले  के  जो  दिन  होते  है , वही  होलिका -अष्ट   कहलाते  है   या   सरल  भाषा  मे  बोले  तो  होलिका  अष्ट  के  ठीक  आठ  दिन   बाद   होली  जलाई   जाती है ।


होलिका अष्ट का धार्मिक तर्क

 क्यूं नही किये जाते शुभ कार्य 

  

धार्मिक   दृष्टि   से   देखा  जाए   होलिका   अष्ट   के इन  आठ  दिनो  मे  कोई     भी  अच्छा  कार्य  अर्थात शुभ   कार्य    जैसे  शादी,  सगाई,  मुंडन  आदि  नही किये  जाते  है।   हिन्दू   पंचाग   के   अनुसार    ऐसा  माना  जाता   है   कि  ग्रहो  🌏 के  एक  राशि  से दूसरी  राशि  मे  प्रवेश  करने   के   कारण   इन   की नकारात्मक   काफी   बढ़ी   हुई   होती  है । जिससे कोई  भी   जातक   सही    निर्णय   लेने   की   स्थिति  मे   नही  होता   है ।  इसलिए   इन   दिनो   कोई   भी शुभ  - कार्य   वर्जित   माने   जाते    है।


होलिका अष्ट  का वैज्ञानिक तर्क 


वैज्ञानिक   दृष्टि   से  देखा  जाए  तो  होली  आने  के पहले  मौसम  मे  परिवर्तन  होता है  अर्थात  सर्दी  के मौसम  की  समाप्ति  और  गर्मी  के  मौसम  के आगमन  के  कारण  मानव  शरीर  मे  रोगो का  प्रवेश प्रारंभ  हो   जाता   है  जिसका  सीधा  असर   मनुष्य  की   निर्णय   लेने  की   क्षमता  पर  पडता  है    क्योंकि  ऐसे  मौसम  की  वजह  से  मानव  शरीर   
मे  जड़ता  और  आलस्य  का  अनुभव  होता  है ।






⚁ 2  होलिका - दहन  क्या  है?


फाल्गुन  मास  की  शुक्ल  पक्ष  पूर्णिमा  के  दिन  प्रायतः  होलिका   दहन   मनाया   जाता  है । लकडी  व  गाँय  के  गोबर  से  बने   उपलो  से  गोल  आकार  मे एक  तंबूनुमा  आकर  तैयार   किया  जाता  है   जिसकी तैयारी  आठ  दिन  पहले  से  शुरू हो जाती  है ।




होलिका दहन का धार्मिक  तर्क    

धार्मिक   दृष्टि   से    "अग्नि "   को   पवित्र  माना   जाता    है  ,       माना       जाता     है    कि   अग्नि     की   पूजा      करने    और       अग्नि     की      परिक्रमा     करने     से     व्याधियां      दूर      होती        और        हमारे        शरीर     मे      नई      ऊर्जा  प्रवेश     करती   है।   
    सामान्यतः    हिन्दू    धर्म  मे    होली     से  जुड़ी    कई    कहानियो   का   उल्लेख  मिलता  है ।     
जिससे   इस   त्योहार   का   महत्त्व   धार्मिक  दृष्टि   से  ओर  बढ  जाता है । 



होलिका  दहन  का  वैज्ञानिक तर्क 



वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो होली  का    त्योहार    ऐसे    समय   आता   है   जब  शिशिर  ऋतु   अर्थात  सर्दी  के  मौसम  की  समाप्ति  होती  है  और   बसन्त  ऋतु   अर्थात   गर्मी   के  मौसम  का आगमन  होता  है ।   

शिशिर  ऋतु   (सर्दी  का मोसम)   मे   मानव  शरीर  मे  कफ  की  अधिकता  होती  है  और  बसन्त ऋतु  (गर्मी का मौसम ) मे  तापमान  बढने  से  शरीर  से  कफ  बाहर   निकलता  है ।   इस    प्रक्रिया  के   कारण   मानव   शरीर मे  कफ - दोष   उत्पन्न  होता  है  और   की  प्रकार  की  बिमारी  जैसे  --- सर्दीजुकाम, खाँसी   के   साथ   साथ  मलेरिया,  खसरा, चेचक  और  बुखार 

आदि  बिमारीयो  का  प्रकोप  बना रहता 

               होली  पर  अग्नि  के  जलने

से  वातावरण  मे  फैले  हुए  बिमारीयो के सभी  रोगाणु और कीटाणु  इस ताप 🔥 के प्रभाव से नष्ट हो जाते है  इसलिए वातावरण मे  फैली हुई  बिमारीयो की व्याधियो   को   दूर  करने  के  कारण ही  होलिका - दहन   का   महत्त्व और 

ज्यादा  बढ जाता  है ।



 ⚂3  रंगो से होली क्यूं खेली जाती है 



धार्मिक तर्क - धार्मिक  मान्यता के  अनुसार 

रंगो  से  होली  राधा - कृष्ण   की  लीला   के  संदर्भ 

मे  खेली  जाती  है ।  प्रायः  होलिका  तिथि  से

  बहुत   से   विजयी  तथ्य  जुड़े  है । प्रायः  सारे  ही  

तथ्य  बुराई    पर  अच्छाई   की   जीत  का   ही 

संदेश    देते   है।  इसी   ही  जीत   की   खुशी 

को  मनाने  के  लिए  फूलो  से   बने  रंग  और अबीर   गुलाल   से  होली  मनायी  जाने  लगी   



  वैज्ञानिक तर्क -- चिकित्सीय  पध्दति  के 

अनुसार  मानव जीवन  मे   रंगो   का  विशेष महत्व  

होता  है ।  पश्चिमी  देशो   के  डाक्टरो  का मानना

है  कि  किसी  भी   एक  रंग  की  भी  कमी  मानव  

 शरीर   मे   उस  रंग   से  सबंधित   रोग   उत्पन्न    कर  

सकती  है ।  अलग - अलग  प्रकार   के   रंगो   से  

मानवीय    संवेदना    जुड़ी   होती   है  और  ये  सभी

रंग   🎨   किसी   ना   किसी  रूप  मे  मानव   जीवन

  मे  व्याप्त   रहते   है।   पश्चिमी   देशो   मे  तो  रंगो से  की जाने   वाली  "रंग-थैरैपी "  बहुत  प्रचलित  है।

         फूल  जेसे  -- पलाश , केसर, जासूद , 

गेंदा  आदि  से  बने  प्रकृतिक  रंग  शरीर  पर   बहुत 

अनुकूल   प्रभाव   डालते  है।  भारत  मे 

होली  प्रायः इन्ही  प्राकृतिक  रंगो  से  खेली  जाती थी ।साथ  ही   साथ विशुध्द  रूप  से  बने  अबीर  व गुलाल  का ही प्रयोग करना चाहिए ।  जब  रंग  शरीर    के    रोम   छिद्रो   द्वारा  हमारे   शरीर  मे प्रवेश   करते  हे  तो एक प्रकार की थैरेपी का  कार्य  करते  है।   जिससे  त्वचा  की   रोनक  बढती  है   और  त्वचा   संबंधी  बिमारी   नही   होती   है। यह   प्रकृतिक रंग  मानव  शरीर  पर   एक  प्रकार की  थैरेपी  का  ही   कार्य  करते है।



⚃ 4   फाग गीत गाए जाने  व ढोल-मंजीरा  बजाये जाने  का धार्मिक व वैज्ञानिक तर्क 


धार्मिक तर्क --  धार्मिक   मान्यतानुसार होली 

 का  समय  शिशिर   ऋतु   की  बिदाई    और  बसंत  

ऋतु  के  आगमन    का   समय    होता   है। और  यह  

समय  फाग   कहलाता   है   इस   समय  खेतो मे  

 फसल  लहराने   लगती  है।  अतः नयी  
   फसल के  आने  खुशी और  प्रकृति के  प्रति आभार व्यक्त  करने  के   लिए  
 जोर  जोर  से   फाग  गीत  ♬ ♬   गाए  जाते  है  व  ढोलक-मंजीरा   बजाया जाता है ।हिन्दू   धर्म    मे   इस  विशेष   समय से   संबंधित   पौराणिक   व   दैवीय   कथाएं   जेसे  -- "भक्त    प्रहलाद की  कथा "  ,  "राक्षसी पूतना की कथा",
"भगवान   शिव -पार्वती   की   कथा " ,   "राधा-कृष्ण   
की  कथा "   आदि  होली  से  विशेष  रूप  से  जुड़ी  कथाएं  है । कहा  जाता है  कि  ईश्वरीय  शक्ती  की 

उपासना  और   बुराई    पर  अच्छाई  की   जीत   की  

 खुशी  को   प्रायः   लोग    फाग   गीत  ♬    गा  कर  

और    ढोल-मंजीरा     बजाकर    नाचते-कूदते  

व्यक्त    करते   है।





गाने  और  बजाने  का  वैज्ञानिक तर्क



वैज्ञानिक   दृष्टि  से  देखा  जाए  तो  होली  ऐसे  समय 

आती   है   जब   मौसम  मे   परिवर्तन   होता  है । इस

समय    सर्दी    जा    रही    होती    और    गर्मी  आ 

रही   होती   है।   इस   तरह   मौसम  मे  बदलाव  के  

कारण   मानव   शरीर  मे  कफ  दोष  उत्पन्न  होता है,

जो    विभिन्न   प्रकार  की  बिमारीयो    जैसे --जुकाम, 
 
 वायरल फीवर ,    मलेरिया,    खसरा,   चेचक   आदि  

का   कारण  होता  है।  इस    समय   मानव   शरीर  

 मे    आलस्य   और   जड़ता  ज्यादा   बनी   रहती   है

जिसका  प्रभाव  मानव    कार्यशैली   पर   पडता   है। 

                     माना  जाता   है  कि  जोर  जोर  

से   गीत   गाने   से   मन   मे  आनन्द   का अनुभव होता   है   व   शरीर   आनन्द   मे   झूम   उठता   है। जिससे  मौसम   परिवर्तन  के  कारण उत्पन्न  आलस्य व    जड़ता   समाप्त  होती   है।  और  लोगो  की  कार्यशैली    मे    स्फूर्ति     की    बढोतरी    होती   है ।



                         साथ  ही  साथ  ढोल-मंजीरा बजने        
से   वातावरण  मे   एक   प्रकार  का  कंपन  पैदा 

होता  है    जिससे   हमारे   आस-पास   मोसम  

परिवर्तन   से  व्याप्त     " रोगाणु और  कीटाणु" नष्ट  हो  जाते  है  जो  कि   मनुष्य  के  शरीर  को स्वस्थ   रखने मे  सहायक  होते  है ।





अंततः   इस  लेख   के   माध्यम   से   होली  के
धार्मिक  व  वैज्ञानिक  महत्व  को  समझाने  का प्रयास  किया  गया  है।  त्योहार  भारतीय   जीवनशैली  का हिस्सा  है   और   इन   त्योहारो  की  महत्ता  सदैव  
बनाए   रखने का  प्रयास   हमे  प्रयास   करना   चाहिए ।   हमे  उम्मीद  है  कि  इस  लेख के  माध्यम  से  आप  होली  के  वास्तविक  महत्व  को  समझ पाए होगे।
 











                          




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