मेहनती किसान
रामपुर गाँव में हरी नामक एक गरीब किसान रहता था। खेत में पर्याप्त पानी नहीं मील पाने से फसल से भी मुनाफा नहीं मिल पा रहा था। दिन-प्रतिदिन हरी की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रहीं थी। हरी की बीवी ने उससे कहा कि - क्यूं ना हम खेत में मौजूद सुखे पड़े हुएं कुएँ को गहरा करवा ले तो शायद पानी निकल आए और खेतों में फसलो को पर्याप्त पानी मिल जाएं । हरी ने कहा कि तुम बिल्कुल ठीक कह रहीं हो, परंतु कुएँ को गहरा करवाने के लिए हमें मजदूर बुलाने पडेंगे और उन्हे भी तो पैसे देने होंगे और हमारे पास तो इतने पैसे ही नहीं बचे जिससे कि हम कुआँ गहरा करवा सकें । ...... हरी की बीवी ने कहा-- अरे ! तुम्हारा बचपन का दोस्त हरीश है ना उससे कुछ पैसे की मदद मांग लो। दो वर्ष पूर्व वह आपसे हजार रूपये उधार ले गया था, वो पैसे भी तो उसने नहीं लौटायें है। अब तो तुम्हारे दोस्त का कारोबार खूब चलता है। अब तो आसानी से वह पैसे दे ही देंगे, आप कुछ पैसे मांग ही ले । आखीर दोस्त होते ही बुरे वक़्त में मदद करने के लिए । ............. बीवी की बात से सहमत होकर हरी अपने बचपन के दोस्त नरेश के घर गया और नरेश से मदद की गुहार लगाई । परन्तु नरेश तो बहुत ही चालाक व लालची किस्म का व्यक्ति था, सो उसने अपने बचपन के दोस्त की भी मदद नहीं की और हरी को पैसे देने से साफ मना कर दिया। हरी तो ठहरा सीधा-सादा, उसने नरेश को ज्यादा परेशान करना उचित नहीं समझा और अपने घर लौट आया । ............ रास्ते में एक दो जान पहचान के लोगो से भी मदद मांगी परंतु कही से भी उसे मदद नहीं मील पाई। वह यहीं सोचता रहा कि अब वह क्या करें ?? घर पहुंच कर परेशान हो बिना कुछ खाएं ही हरी सो गया। पति की इस दशा से दुखी बीवी भी रोते-रोते सो गई। ............. सवेरे होते ही हरी ने निश्चय किया कि वह स्वंय ही खेत के कुएँ को गहरा करेंगा । हरी की बीवी ने भी हरी का साथ दिया और देखते ही देखते दोनो ने मिलकर कुएँ को गहरा कर दिया और आख़िरकार कुएँ में से पानी निकल ही आया परंतु पानी में से एक अलग ही तरह की महक आ रही थी। हरी ने पानी को स्पर्श किया तो यह तेल की तरह चिपचिपा था और इसकी महक भी पेट्रोल-डीजल की तरह थी। हरी और उसकी बीवी समझ चुके थे कि उनके कुएँ में से पानी नहीं गाड़ियों में भरें जाने वाला तेल निकला है। दोनो की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । अब दोनो ने इस तेल को कैन में भर कर बेचना शुरू किया । गाँव के लोगो को पहले गाड़ियों का तेल लेने शहर जाना पड़ता था। परन्तु अब यहीं तेल उनके गांव में ही आसानी से उपलब्ध होने लगा वो भी किफ़ायती दामों पर तो गाँव वाले भी बहुत खुश थे। ईधर हरी के परिवार की आर्थिक हालत भी अच्छी हो चुकि थी। हरी ने कम समय में ही अच्छा पैसा एकत्रित कर लिया था, ताकि बुरे वक़्त में किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े । और अब हरी ने अपने यहां गाँव के कई लोगों को भी रोजगार दे दिया था। साथ ही साथ हरी अन्य लोगो की भी कई तरह से मदद करता ही रहता ताकि गाँव का कोई भी व्यक्ति आर्थिक तंगी का सामना ना कर सकें। चारों तरफ हरी व उसकी बीवी की तारीफ होने लगी क्योकिं दोनो संपूर्ण गाँव के लोगो के हित के लिए कार्य करते थे।
नैतिक शिक्षा
दृढ़ संकल्प और मेहनत से हमारे लिए असंभव कार्य भी संभव हो सकते है। जिस तरह हरी और उसकी बीवी दोनो की मेहनत और दृढ़ संकल्प की वज़ह से ही आज उनके लिए असंभव सा लगने वाला कार्य संभव हो सका था।
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